Saturday, May 14, 2011

फिल्म समीक्षा-लव यू मिस्टर कलाकार


राजश्री प्रोडक्शन की पिछली फिल्मों की तरह लव यू मिस्टर कलाकार का अपना एक सुनहरा संसार है। इस संसार के वाशिंदे  सभ्य, सुसंस्कृत, ईमानदार, निश्छल और आदर्शवादी हैं। विश्वास नहीं होता कि वर्तमान में ऐसे लोग मौजूद भी हैं! 
बिजनेस मैन दीवान बेटी रिया के लिए ऐसा हमसफर चाहते हैं जो करोड़ो ं रूपए  कमाने वाला हो, जबकि रिया करोड़ो ं रूपए  कमाने वाला नहीं बल्कि करोड़ो ं का दिल जीतने वाला पति चाहती है। रिया को यह खूबी कार्टूनिस्ट साहिल में नजर आती है, जिससे कुछ मुलाकातों में उसे प्यार हो जाता है। साहिल को रिया पिता से मिलवाती है, लेकिन वे उसे नापसंद कर देते हैं। वे मानते हैं कि कलाकार बेकार होते हैं। बाद में बेटी और बहन की गुजारिश पर दीवान दोबारा साहिल से मिलते हैं और उसकी काबिलियत की परीक्षा लेने के उद्देश्य से तीन महीने के लिए अपनी कंपनी का सीएमडी  बना देते हैं। कंपनी के चार सौ करोड़ रूपए  महीने के टर्न ओवर को वे उसे बढ़ाने की चुनौती देते हैं। खुद को रितु  के योग्य साबित करने के लिए साहिल चुनौती स्वीकार कर लेता है।
 गौर से देखा जाए तो कार्टूनिस्ट साहिल और रितु की प्रेम कहानी की पृष्ठभूमि अमीरी-गरीबी है। करोड़पति पिता सख्त मिजाज है जो अंत में बेटी की पसंद को स्वीकार कर लेता है। लव यू मिस्टर कलाकार की कहानी सुस्त चाल से आगे बढ़ती है। साहिल-रितु की प्रेम कहानी में दमदार विरोधाभास न होने के कारण फिल्म बांध नहीं पाती। संवाद नीरस और बासी हैं। मसलन साहिल द्वारा बनाई अपनी पेंटिंग  देखने के बाद रितु  पूछती है कि क्या मैं इतनी खूबसूरत हूं? ट्रैकिंग के दृश्य में रितु  साहिल से कहती है-दो प्यार करने वाले दुनिया को भूलकर घंटों आपस में खोए रहते हैं। साहिल रितु  से कहता है-हमारी दुनिया अलग-अलग है।
लेखक-निर्देशक एस मनस्वी का पहला प्रयास निराशाजनक है। गुड ब्वॉय  साहिल के रूप में तुषार स्क्रीन पर अच्छे  लगते  हैं, पर उनके चेहरे पर भावों का अभाव खटकता है। अमृता को अति नाटकीय होने से बचना चाहिए था। कुछ जगह हैं के स्थान पर वे है कहती हैं तो अफसोस होता है। दीवान की भू्मिका  में राम कपूर और बुई के किरदार में मधु अच्छे  हैं।
रेटिंग-एक स्टार
-रघुवेन्द्र सिंह

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