Wednesday, May 18, 2011

सबके अंदर है शैतान: राजीव खंडेलवाल


पहली फिल्म आमिर की हर तरह से मिली सफलता को राजीव खंडेलवाल ने अपने तरीके से संभाला। वे बाजार की गिरफ्त में नहीं आए। उन्होंने अपनी पसंद की कई फिल्में शैतान, साउंड ट्रैक, विल यू मैरी मी, पीटर गया काम से, रिटर्न गिफ्ट साइन कीं। दो वर्ष से वे लगातार इन फिल्मों की शूटिंग कर रहे हैं। शो सच का सामना के जरिए उन्होंने टीवी से नाता जोड़ा। फरवरी में उन्होंने मंजरी से शादी की। बातचीत राजीव खंडेलवाल से..

फिल्मी कलाकार शादी शोर-शराबे के साथ करते हैं, लेकिन आपने यह सब शांतिपूर्वक किया?
मैं लाउड इंसान नहीं हूं। मैं पर्सनल लाइफ को अलग रखता हूं। जीवन के कुछ पल ऐसे होते हैं जब हम ऐक्टर राजीव नहीं होते। उस वक्त मां थप्पड़ मार सकती हैं, पापा डांटते हैं, हम झाड़ू लगाते हैं.., उन पलों का अलग मजा होता है। मैं उस वक्त कैमरे के सामने सहज नहीं होता। मैं साधारण इंसान हूं। अब दुनिया में सामान्य लोग इतने कम हो गए हैं कि वे अलग लगते हैं। मेरा पेशा मुझे लाइम लाइट में लाता है।
आपकी फिल्मों पर गौर करें, तो वे नए किस्म की हैं। क्या ऐसी फिल्मों का चुनाव आप सोच कर करते हैं?
मेरा ऐसा प्लान नहीं है। मैं अपनी स्पीड से काम करता हूं। मैं सहज रहता हूं। मुझे जो स्क्रिप्ट एक्साइट करती है, उसी को स्वीकारता हूं। ऐसा सोच-समझ कर ही हो रहा है।
आपके करियर पर बाजार का कितना नियंत्रण है?
बिल्कुल भी नहीं। मैं बाजार के तरीके से नहीं चलता। किसी स्क्रिप्ट को लेकर नर्वस होता हूं, तो लगता है कि कुछ नया कर रहा हूं। हम क्रिएटिव फील्ड में हैं। जब तक क्रिएटिव काम नहीं करेंगे खुद को क्रिएटिव कहना गलत होगा। मुझे मौके मिलते हैं ऐसा काम करने के..। मैं खुश हूं।
शैतान किस जॉनर की फिल्म है। यह किस तरह के शैतान की बात करती है?
यह अनुराग कश्यप की फिल्म है। इसमें समाज का ऐसा पहलू है, जिसे देखने के बाद लगेगा कि हमारे आसपास ऐसा होता है। यह थ्रिलर है। स्लाइस ऑफ लाइफ है। रोजमर्रा के जीवन में हम अपने अंदर के शैतान से लड़ते रहते हैं। कभी कामयाब होते हैं और कभी हथियार डाल देते हैं। इसमें जितने भी कैरेक्टर हैं, सब अपने अंदर के शैतान से लड़ रहे हैं।
आपका क्या किरदार है? क्या एक कलाकार के तौर पर इसमें आपको अपनी सीमाएं तोड़ने का मौका मिला?
मैं पुलिस अफसर अरविंद माथुर का किरदार निभा रहा हूं। उसका गुस्सा उसके लिए शैतान है। वह अपनी फीलिंग एक्सप्रेस नहीं कर पाता जिसकी वजह से उसकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में प्रॉब्लम आती है। वह कैसे अपने शैतान से जीतता है? निर्देशक बिजॉय नंबियार ने इसमें मेरे अंदर का एक अलग रेंज निकाला है। मैं कभी डरता नहीं हूं। मुझे अच्छा लगता है, जब अपनी कमजोरी पता चलती है। मेरी सोच सकारात्मक है इसलिए मैं नई चुनौतियों के लिए तैयार रहता हूं।
आमिर की तरह क्या शैतान को लोग आपकी फिल्म कह सकते हैं?
आमिर राजकुमार गुप्ता की फिल्म थी और यह बिजॉय नंबियार की है। ऐक्टर एक माध्यम होता है कहानी कहने के लिए। आमिर फिल्म में मैं हर फ्रेम में था, लेकिन इसमें हर फ्रेम में नहीं हूं। इसमें चार-पांच ट्रैक है। पांच दोस्तों का ट्रैक साथ चलता है। इसमें मेरा लोगों का हल्का सा रोमांटिक पहलू देखने को मिलेगा।
-raghuvendra singh  

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