Sunday, September 7, 2008

अपने किए पर पछतावा नहीं: प्रीति जिंटा

[रघुवेंद्र सिंह]
चुलबुली छवि के विपरीत जिंदादिल अभिनेत्री प्रीति जिंटा की गंभीर चरित्र वाली पहली अंग्रेजी फिल्म है रितुपर्णो घोष निर्देशित द लास्ट लीयर। इसमें वे दर्शकों को पहली बार नॉन ग्लैमरस अंदाज में अमिताभ बच्चन एवं अर्जुन रामपाल के साथ स्क्रीन शेयर करती दिखाई देंगी। प्रस्तुत है प्रीति जिंटा से बातचीत-
[आपने अचानक गंभीर भूमिकाओं की तरफ रुख करने का निर्णय क्यों लिया?]
मैं एक ही तरह का काम करके थक गई थी या यूं कह सकते हैं कि मैं मसाला फिल्मों से उब गई थी। मैं कुछ ऐसा काम करना चाहती थी जिससे कलाकार के तौर पर मुझे चुनौती महसूस हो। द लास्ट लीयर और हर पल जैसी फिल्मों में मुझे वह चुनौती दिखी। बस, उसके बाद मैंने इस तरह की फिल्में करनी आरंभ कर दी। यह जल्दबाजी में उठाया गया कदम नहीं , बल्कि मेरी सोची-समझी रणनीति है।
[कमर्शियल सक्सेज मिलने के बाद ही अभिनेत्रियां क्यों गंभीर फिल्में करती हैं?]
देखिए, पहले बच्चा घुटनों के बल चलना, उसके बाद खड़ा होना, फिर चलना और उसके बाद दौड़ना सीखता है। यदि वह पहले ही दौड़ने की कोशिश करेगा तो जाहिर सी बात है, वह गिर जाएगा। ठीक उसी तरह कॅरियर के शुरू में कोई एक्ट्रेस गंभीर फिल्में करके अपना भविष्य क्यों खराब करना चाहेगी? धीरे-धीरे एक्टिंग में घिसने के बाद ही किसी के लिए भी गंभीर फिल्में करना हितकर होता है। वैसे, मैं बता दूं कि मैंने अपने कॅरियर के आरंभ में ही दिल से और क्या कहना जैसी सीरियस फिल्में की हैं।
[अपनी छवि के प्रतिकूल इस तरह की फिल्में करना आपको रिस्की नहीं लग रहा?]
इस बात के लिए खुशी महसूस करती हूं कि मैं कभी किसी छवि में नहीं बंधी। मुझ पर कभी ग्लैमर डॉल या फिर आइटम गर्ल का ठप्पा नहीं लगा। इसकी वजह यह है कि मैंने यदि किसी फिल्म में अभिनय किया है तो उसमें चार स्ट्रांग सांग भी किए हैं। मैं एक बात स्पष्ट करना चाहूंगी कि मैं लास्ट लीयर और हर पल जैसी फिल्में अवॉर्ड पाने के लिए नहीं कर रही, बल्कि एक एक्ट्रेस के तौर पर यह मेरा विस्तार है।
[द लास्ट लीयर से जुड़े अपने अनुभव के बारे में बताएं?]
मैं द लास्ट लीयर का हिस्सा बनकर गर्व महसूस कर रही हूं। मैं फिल्म में शबनम नाम की महिला का किरदार निभा रही हूं। इस फिल्म में दर्शक मुझे पहली बार नॉन ग्लैमरस अंदाज में साड़ी पहने, बड़ी सी बिंदी लगाए सीरियस एक्टिंग करते हुए देखेंगे। सबसे बड़ी बात है कि मुझे इस फिल्म में रितुपर्णो दा के साथ काम करने का सुनहरा मौका मिला। यह फिल्म कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में सराहना बटोर चुकी है। मैं खुश हूं कि मुझे इस फिल्म में अमित अंकल और अर्जुन रामपाल के साथ कुछ नया करने का अवसर मिला।
[आपकी पिछली फिल्म झूम बराबर झूम से दर्शक निराश हुए खासकर गाली वाले पार्ट से। ऐसे किरदार और सीन करने की आप मंजूरी कैसे दे देती हैं?]
हमने झूम बराबर झूम में कुछ हट कर करने का प्रयास किया था। अफसोस, वह दर्शकों को पसंद नहीं आया। वैसे, जिंदगी में चांस लेना पड़ता है। सच कहूं तो अगर वह फिल्म हिट हो गई होती तो आप ऐसा सवाल नहीं करते। पर मुझे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है। मुझे अपनी हिट और फ्लॉप सभी फिल्मों पर समान रूप से गर्व है। यह जिंदगी है, हार-जीत लगी रहती है।
[आजकल आप नंबर वन की रेस से बाहर नजर आ रही हैं?]
मैं कभी इस तरह की रेस का हिस्सा नहीं रही और न ही होना चाहती हूं। सच कहूं तो जब कभी मैंने इस तरह की रेस का हिस्सा बनना चाहा, मेरा बहुत नुकसान हुआ। मेरा मानना है कि दौड़ में जो अगल-बगल देखता है, वह अक्सर हार जाता है। सीधा देखने वाला ही विजेता बनता है, सो मैं सिर्फ अपने काम पर ध्यान देती हूं। मुझे बचपन में सीख दी गई थी कि जो तुम्हे मिल रहा है, उस पर प्राउड करो, औरों की तरफ ध्यान मत दो।
[प्रीति के अभिनय का नया पहलू]
प्रीति का अभिनय दिनों दिन निखर रहा है अपनी आने वाली फिल्मों के संदर्भ में वे बताती है कि द लास्ट लियर के बाद मेरी समीर कार्णिक निर्देशित हीरोज, जानू बरुआ की हर पल, फिर दीपा मेहता की हेवन ऑन अर्थ और 2009 के आरंभ में सलमान खान अभिनीत मैं और मिसेज खन्ना प्रदर्शित होगी। मुझे उम्मीद है कि इन फिल्मों के प्रदर्शन के बाद दर्शक मेरे अभिनय के नए पहलू से परिचित होंगे और मेरे कॅरियर को नया मुकाम मिलेगा। इन फिल्मों में मेरा नया अंदाज दर्शकों के बीच होगा। वैसे भी मैं अभी व‌र्ल्ड टूर और अपनी फिल्मों में व्यस्त हूं। इसके बाद आईपीएल में व्यस्त हो जाऊंगी।

No comments: