[रघुवेंद्र सिंह]
अभिनेता फारूख शेख लंबे अंतराल के बाद बड़े पर्दे पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने जा रहे हैं। वे शोना उर्वशी निर्देशित कॉमेडी फिल्म सास बहू और सेंसेक्स में अहम् भूमिका निभा रहे हैं। प्रस्तुत है फारूख से बातचीत-
[आपने अचानक बड़े पर्दे से मुंह क्यों मोड़ लिया था?]
कई वजहें हैं। मैं किसी काम के लिए हां तभी कहता हूं जब मुझे वह काम अच्छा लगता है और मुझे लगता है कि उस काम को करते हुए मैं एंज्वॉय करूंगा। उसके बाद जिसके साथ काम करना है, वह अच्छा हो। फिर मैं ज्यादा दिखने से भी परहेज करता हूं। दरअसल, मैं नहीं चाहता कि दर्शक यह कहें कि यार, माना कि हम आपको पसंद करते हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हर जगह आप ही दिखो।
[यानी आपके मुताबिक एक कलाकार का ज्यादा दिखना उसके लिए नुकसानदेह हो सकता है?]
किसी भी चीज की अति बुरी होती है, यह बात सारी दुनिया मानती है। वही बात यहां फिट होती है। यदि आपको अपनी वैल्यू बनाए रखनी है तो अपनी उपस्थिति को लेकर सजग रहना होगा। आज क्यों बड़े कलाकार साल में इक्का-दुक्का फिल्में ही करते हैं? मेरी बड़े पर्दे से दूरी बनाने की एक अहम वजह यह भी थी कि मैं जिंदगी को एंज्वॉय करना चाहता था। सुबह से शाम तक स्टूडियो में पैसा कमाना ही तो जिंदगी का सुख नहीं होता।
[आपने सास बहू और सेंसेक्स में काम करने के लिए स्वीकृति क्यों दी?]
मैं फिल्म की निर्देशक शोना को पहले से जानता था। दरअसल, मेरी फिल्म चश्मे-बद्दूर के निर्माता यही लोग थे। सबसे बड़ी वजह यह है कि मुझे फिल्म की स्क्रिप्ट अच्छी लगी। यह नॉन वल्गर कॉमेडी फिल्म है।
[इस फिल्म में ऐसी क्या खास बात है?]
यह फिल्म एक साथ जिंदगी से जुड़े कई मुद्दों पर प्रकाश डालती है। आज सेंसेक्स के उतार-चढ़ाव में औरतें क्यों दिलचस्पी ले रही हैं? वे सेंसेक्स से जुड़ती हैं तो क्या परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं? मुंबई में अलग-अलग राज्यों की औरतें कैसे जिंदगी जी रही हैं? मध्यमवर्गीय परिवार की बेसिक समस्याएं क्या हैं? ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब यह फिल्म बड़े ही दिलचस्प अंदाज में देती है। मैं फिल्म में स्टॉक ब्रोकर फिरोज सेठ का किरदार निभा रहा हूं। उसे औरतों से बहुत चिढ़ है। जब एक साथ ढेर सारी औरतों से उसका सामना होता है तो वह उनसे कैसे निपटता है? देखना दिलचस्प होगा।
[आप सत्यजीत रे और ह्रषिकेष मुखर्जी जैसे दिग्गज निर्देशकों के साथ काम कर चुके हैं। नई पीढ़ी की निर्देशक शोना उर्वशी के साथ काम करने का अनुभव बताएं?]
आज की पीढ़ी वेल प्रिपेयर्ड है। तकनीकी रूप से बहुत मजबूत है। लोग सेट पर आने से पहले अच्छे से होमवर्क करके आते हैं। मैंने शोना में यही बातें देखीं। हमारे समय में इन चीजों का अभाव था। हम तकनीकी रूप से कमजोर थे। तब मॉनीटर भी नहीं होते थे कि कलाकार और निर्देशक उसमें देखकर अनुमान लगा लें कि फ्रेम में कितना पोर्शन आना चाहिए।
[आज सिनेमा के क्षेत्र में सबसे बड़ा बदलाव क्या पाते हैं?]
कई उल्लेखनीय बदलाव आए हैं, जिसमें एक मल्टीप्लेक्स सराहनीय है। मल्टीप्लेक्स के आने के बाद से हर तरह की फिल्में बनने लगी हैं। निर्माता-निर्देशक को नुकसान नहीं उठाना पड़ता है। दर्शकों के पास च्वाइस है। अब दर्शक भी बहुत होशियार हो गए हैं।
[दर्शक आपको छोटे पर्दे पर कब देख सकेंगे? किसी रिएलिटी शो के लिए ऑफर आया है?]
चैनल वाले सुलह कर लें तो मेरा पॉपुलर शो जीना इसी का नाम है वापस आ सकता है और वे चाहेंगे तो मैं उस शो के जरिए फिर छोटे पर्दे के दर्शकों के बीच आ सकता हूं। मुझे रिएलिटी शो के ऑफर तो बहुत आते हैं, लेकिन अब रिएलिटी शो में हकीकत कितनी बची है? किसी से छुपा नहीं है।
[सास बहू और सेंसेक्स के अलावा दर्शक आपको किस फिल्म में देख सकेंगे?]
अभी तो इसी फिल्म में देखिए। मैंने कुछ नया काम नहीं लिया है। मैं बहुत चूजी हूं। अब अगले साल ही कोई प्रोजेक्ट साइन करूंगा।
No comments:
Post a Comment