Friday, November 28, 2008

कहीं विलाप तो कहीं अमर रहें के नारे

जागरण संवाददाता, मुंबई : फ्लैग मार्च करते फौजियों के बूटों की धमक मुंबई वासियों को हिम्मत बंधा रही थी। लेकिन अपने प्रियजनों को खोने वालों की रह-रह चीत्कार एक बार फिर माहौल में मातम पाट दे रही थी। इस बीच शहीद जांबाजों के शवयात्रा के दौरान अमर रहें के नारे दिलासा दे रहे थे कि हमारा देश इस प्रकार के हमलों को नाकाम करने का माद्दा रखता है । गुरुवार का पूरा दिन लगभग इस इंतजार में बीत गया कि कब दिल्ली से आए एनएसजी के जवान ताज होटल, ओबेराय होटल एवं नरीमन हाउस में फंसे लोगों को छुड़ाकर आतंकियों को मार गिराएंगे। लेकिन इस इंतजार में शाम के आठ बज गए, जब पहली अच्छी खबर ताज होटल से आई कि पांच आतंकियों को मारकर आपरेशन ताज पूरा किया जा चुका है। लेकिन आपरेशन ताज की सफलता आसान नहीं थी। आतंकियों के कब्जे से छूटने से पहले ताज में ठहरे कई मेहमानों के साथ-साथ इस हेरिटेज होटल के महाप्रबंधक के पत्‍‌नी और बच्चों को भी जान से हाथ धोना पड़ा। यही नहीं ताज होटल के वे गुंबद भी आतंकियों द्वारा नेस्तनाबूद कर दिए गए हैं, जिनके सामने खड़े होकर देश-विदेश से आनेवाले पर्यटक तस्वीरें खिंचवाते थे। मुंबई की खुबसूरत यादें अपने साथ ले जाते थे। मेहमानों के मारे जाने की लगभग यही स्थिति नरीमन प्वाइंट स्थित पांच सितारा होटल ओबेराय में भी रही। जिसे अब उसके नए नाम ट्राइडेंट से जाना जाता है। इस होटल में एनएसजी ने अपना आपरेशन ऊपर की मंजिल से शुरू किया है। उसका अभियान देर रात तक जारी रहा। एनएसजी का तीसरा लक्ष्य कुलाबा स्थित नरीमन हाउस इमारत रही, जहां दो यहूदी परिवारों को आतंकियों ने बंधक बना रखा था। इस पूरी तरह से आवासीय क्षेत्र के लोग दिन भर इस इमारत के बाहर खड़े पुलिस और प्रेस वालों को चाय और पानी पिलाते रहे। वह भी बिल्कुल मुफ्त। वाह रे मुंबई । दक्षिण मुंबई के इस आतंक पीडि़त माहौल ने दिनभर हंसते-मुस्कुराते रहने वाले इस महानगर को सहमा और खामोश रखा।

3 comments:

Satyendra Tripathi said...

सत्ताधीशो को अपने बिलो से बाहर निकालने के लिये जरुरी है कि देशवासी दिल्ली की ओर कूच करे और इन कायरो को बिलो से बाहर निकाले। आप शांत हो गये तो इन बेशर्मो को चमडी बदलने मे जरा भी समय न लगेगा।

MANVINDER BHIMBER said...

मैं नमन करती हूं उन सभी शहीदों को जिन्होंने हमारी सुख शान्ति के लिये अपनी जान की बाजी लगायी है।

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

tufan se pahale ki khamoshi hai ya tufan ke bad ki, narayan narayan