Monday, September 22, 2008

राइमा बनना चाहती थी एयरहोस्टेस

[रघुवेंद्र सिंह]
बॉलीवुड की प्रसिद्ध सेन बहनों में राइमा की अलग पहचान है। वह ग्लैमरस भूमिकाओं की अपेक्षा गंभीर एवं अर्थपूर्ण किरदारों में ज्यादा दिखती हैं। चोखेर बाली, एकलव्य और हनीमून टै्रवेल्स प्रा.लि. राइमा सेन की उल्लेखनीय फिल्में हैं। सप्तरंग के पाठकों को राइमा बता रही हैं अपने बचपन के बारे में-
[आम लड़की की तरह हुई परवरिश]
भले ही मेरा जन्म सुचित्रा सेन और मुनमुन सेन जैसी जानी-मानी अभिनेत्रियों के घर में हुआ हो, लेकिन मेरी परवरिश बिल्कुल आम लड़की की तरह हुई। मुझे बचपन में इस बात का जरा सा एहसास नहीं था कि मेरी दादी और मम्मी आम नहीं, खास इंसान हैं। इसकी वजह मेरे पापा थे जिनका फिल्म इंडस्ट्री से कोई लेना-देना नहीं था। उन्होंने हमें चमकती दुनिया से दूर रखा। मैं छुटपन में बहुत शैतानी करती थी। मैं रिया से ज्यादा शरारती थी, पर हमारे पैरेंट्स मारने की बजाए हमें समझाते अधिक थे।
[एयर होस्टेस बनना चाहती थी]
मैं कक्षा छह तक औसत छात्रा थी। हां, सातवीं के बाद मैं पढ़ाई को लेकर गंभीर हो गई। मैं स्कूल में भी बहुत शरारतें करती थी। स्कूल में मेरे ज्यादा दोस्त नहीं थे। मेरी सबसे अच्छी दोस्त रिया थी और अब भी वही है। मैं बचपन में एयर होस्टेस बनने का सपना देखा करती थी। आसमान को छूना चाहती थी, लेकिन मॉडलिंग में आने के बाद कब एक्टिंग में आ गई, पता ही नहीं चला। मैंने कभी एक्ट्रेस बनने के बारे में नहीं सोचा था।
[होली था पसंदीदा त्योहार]
मुझे रंगों से बहुत प्यार है। यही वजह है कि बचपन में मेरा पसंदीदा त्योहार होली हुआ करता था। मैं होली का इंतजार पूरे साल किया करती थी। घर पर तो हम होली खेलते ही थे, स्कूल में भी जमकर होली हुआ करती थी। कई बार तो रंग खेलने के लिए हम क्लास तक बंक कर देते थे। आज उन दिनों को बहुत मिस करती हूं। अब प्रोफेशनल जिंदगी जीने लगे हैं। कई बार लगता है कि कितनी बनावटी दुनिया में आ गए हैं। पर क्या करें, एक्टिंग की लाइन ही ऐसी है।
[बेफ्रिक होते हैं बचपन के दिन]
हमारी पूरी जिंदगी में बचपन ही एकमात्र ऐसा दौर होता है जब हमें किसी चीज की चिंता नहीं होती है। किसी बात का गम नहीं होता है। हम बेफ्रिक होकर जिंदगी जी रहे होते हैं। आज मैं बचपन को मिस करती हूं। मैं बच्चों से कहूंगी कि वे बचपन को खुलकर जीएं। दिल लगाकर, लगन और मेहनत से पढ़ाई करें। जिंदगी में अपना और अपने मम्मी-पापा का नाम रोशन करने का लक्ष्य बनाएं।

1 comment:

Udan Tashtari said...

अच्छा लगा जानना!