Saturday, February 21, 2009

हमेशा आता था मेरिट लिस्ट में नाम: हरमन बावेजा/बचपन

फिल्मकार हैरी बावेजा के लाड़ले बेटे हरमन ने बचपन में ही तय कर लिया था कि उन्हें बड़ा होकर एक्टर बनना है। वे इस लक्ष्य के प्रति निरंतर प्रयासरत रहे और आज उनकी गिनती नयी पीढ़ी के उभरते अभिनेताओं में की जाती है। हरमन ने यह पहचान फिल्म 'लव स्टोरी 2050' और 'विक्ट्री' से हासिल की है। फिल्मी गलियारे में पले-बढ़े हरमन इस स्तंभ में बता रहे हैं अपने नटखट बचपन के बारे में-
[दुलारा रहा मम्मी-पापा का]
मैं बचपन में ज्यादा शरारती नहीं था। मेरी बहन रोवेना बहुत शरारतें करती थी। सच कहूं तो मेरे हिस्से की शरारत भी वही करती थी। यही वजह है कि मार भी उसको ही पड़ती थी। मैं मम्मी-पापा का अच्छा बच्चा था। वे मुझे खूब दुलार करते थे। मेरी हर इच्छा को पूरा करते थे। मम्मी-पापा ने कभी मुझ पर हाथ नहीं उठाया। उन्होंने हमेशा मुझे प्यार ही किया और मैंने भी उनके लाड़-प्यार का कभी नाजायज फायदा नहीं उठाया। मैंने उन्हें कभी शिकायत का मौका नहीं दिया। मैं आज भी मम्मी-पापा का लाड़ला हूं।
[पढ़ाई में होनहार था]
मैं पढ़ने में बहुत तेज था। गणित मेरा मनपसंद विषय था। मेरा नाम मेरिट लिस्ट में हमेशा आता था। उसके लिए स्कूल-कॉलेज से लेकर घर तक मुझे वाहवाही मिलती थी। मम्मी-पापा और रोवेना सब मेरा उत्साह बढ़ाते थे। मैं खेलकूद में भी समान रूप से तेज था। यही वजह है कि मेरी बॉडी इतनी फिट है। मैंने अब तक जो काम किए हैं, उनमें हमेशा अव्वल रहा हूं। अब एक्टिंग में भी वही मुकाम बनाना चाहता हूं।
[कमाल के दिन थे बचपन के]
मैं बचपन के दिनों को बहुत मिस करता हूं। वे दिन कमाल के होते थे। न तो काम की टेंशन होती थी और न ही किसी तरह की जिम्मेदारी होती थी। लवस्टोरी 2050 के प्रदर्शन के बाद मुझे पहली बार लगा कि अब मैं बड़ा हो गया हूं। अचानक मुझे अपनी जिम्मेदारियों का अहसास होने लगा। दरअसल लवस्टोरी 2050 के प्रदर्शन के पहले मैं सिर्फ मम्मी-पापा का बेटा था, लेकिन उसके बाद दुनिया की नजर मुझ पर टिक गयी। मैंने एक-एक कदम फूंक कर रखना शुरू कर दिया।
[खूब खेलें और खूब पढ़ें]
बड़े होने के अपने फायदे हैं, लेकिन बचपन की बात निराली है। मैं बच्चों से यही कहूंगा कि वे जल्दी बड़े होने की न सोचें। खूब खेलें और दिल लगाकर पढ़ाई करें। हां, शैतानी करने से बचें। बचपन के हर पल को एंज्वॉय करें, क्योंकि वह मजा फिर जिंदगी के किसी पड़ाव में नहीं मिलता। मम्मी-पापा की छांव का भरपूर लुत्फ उठाएं। उनकी बातों को ध्यान से सुनें क्योंकि वही बातें बाद में जिंदगी के सफर में काम आती हैं। कुछ ऐसा काम करें कि आपके मम्मी-पापा का सिर गर्व से ऊंचा उठ जाए।
[रघुवेंद्र सिंह]

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