सेलिना जेटली ने अपने कॅरियर में कॉमेडी फिल्में अधिक की है। आने वाले दिनों में उनकी एक और कॉमेडी फिल्म पेइंग गेस्ट दर्शकों के बीच होगी। प्रस्तुत है सेलिना से बातचीत-
पेइंग गेस्ट किस तरह की फिल्म है?
यह मल्टीस्टारर कॉमेडी है। फिल्म आज की युवा पीढ़ी पर कमेंट करती है। आज लड़के-लड़कियों पर कॉलेज से निकलने के बाद नौकरी का बोझ आ जाता है। वे बड़े शहरों में आकर संघर्ष करने में जुट जाते हैं। पेइंग गेस्ट के तौर पर जीवन जीते हैं।
इसमें आप किस तरह की भूमिका निभा रही है?
मैं थाईलैंड में रह रही पंजाबी फैमिली की लड़की हूं। फिल्म में मुझे ज्यादातर समय डार्लिग कहकर बुलाया जाता है। मेरी भूमिका बहुत मजेदार है। इसे निभाने के लिए मुझे थाई भाषा सीखनी पड़ी।
आप पेइंग गेस्ट के तौर पर रही हैं?
मैं कलकत्ता में दो साल पेइंग गेस्ट के तौर पर रह चुकी हूं। मेरे अनुभव बुरे हैं। करियर के शुरुआती दिनों में मैं मॉडल थी। कलकत्ता में मॉडल को अपने घर में कोई नहीं रखना चाहता था। जो तैयार होते, वे पहले दस हजार रुपए एक्स्ट्रा मांगते और शर्ते अलग से रखते थे। बड़ी मुश्किल से एक महिला ने मुझे अपने घर में रहने की इजाजत दी। उसने कहा कि तुम्हे या तो अपने बाल काटकर छोटे करने पड़ेंगे या फिर दो चोटी बनाकर रखना पड़ेगा। स्थिति यह थी कि मैं रात को अपने घर जाने से डरती थी। काम खत्म होने के बाद आधी रात को दोस्तों को फोन करती और उनके यहां ठहरने की गुजारिश करती थी। मैंने दो साल के भीतर कलकत्ता में आठ ठिकाने बदले।
परितोष पेंटर की यह पहली फिल्म है। उनके निर्देशन में काम करने का अनुभव कैसा रहा?
परितोष थिएटर पृष्ठभूमि के हैं। यह फिल्म उन्हीं के लोकप्रिय नाटक पेइंग गेस्ट पर बनी है। वे शूटिंग के दौरान हमें इतना तक बता देते थे कि पात्र के चलने का अंदाज कैसा होगा? उनके निर्देशन में काम करते हुए मैंने एंज्वॉय किया।
पेइंग गेस्ट के बाद किन फिल्मों में दर्शक आपको देख सकेंगे?
इसके बाद मुक्ता आटर््स की फिल्म हैलो डार्लिग आएगी। फिर रन भोला रन, शो मैन और चाय गरम फिल्में प्रदर्शित होंगी। हाल में मैंने एक थ्रिलर फिल्म एक्सीडेंट ऑन हिल रोड साइन की है। उसमें मैं निगेटिव भूमिका निभा रही हूं। मैं शुद्ध रोमांटिक फिल्म करना चाहती हूं। मेरी ख्वाहिश है कि दिलीप कुमार के साथ एक रोमांटिक फिल्म में काम करूं।
आजकल आप गे समाज के पक्ष में खुलकर आवाज उठा रही हैं। इसके पीछे क्या कारण है?
मैं कॉलेज के दिनों से गे समाज को सपोर्ट कर रही हूं। अब मैं सेलेब्रिटी बन गयी हूं इसलिए लोग मेरी बातों को ध्यान से सुन रहे हैं। यह मुद्दा मेरे दिल के बेहद करीब है। दरअसल, मैं करियर के शुरूआती दिनों में कलकत्ता में अकेले रहती थी। वहां मेरा अपना कोई नहीं था। उस समय एक गे मेकअप आर्टिस्ट ने मेरी बहुत सहायता की। वे मां की तरह मेरा खयाल रखते थे। मैंने निजी जीवन और दुनिया के बारे में उनसे बहुत कुछ सीखा है। उन्हीं की वजह से मैं मिस इंडिया बनी। उन्होंने ही मिस इंडिया का फार्म भरकर भेजा था। मैं आज इस मुकाम पर उनकी वजह से हूं। मेरे बहुत सारे गे दोस्त हैं। मैं चाहती हूं कि समाज उन्हें स्वीकार करे।
-रघुवेन्द्र सिंह
पेइंग गेस्ट किस तरह की फिल्म है?
यह मल्टीस्टारर कॉमेडी है। फिल्म आज की युवा पीढ़ी पर कमेंट करती है। आज लड़के-लड़कियों पर कॉलेज से निकलने के बाद नौकरी का बोझ आ जाता है। वे बड़े शहरों में आकर संघर्ष करने में जुट जाते हैं। पेइंग गेस्ट के तौर पर जीवन जीते हैं।
इसमें आप किस तरह की भूमिका निभा रही है?
मैं थाईलैंड में रह रही पंजाबी फैमिली की लड़की हूं। फिल्म में मुझे ज्यादातर समय डार्लिग कहकर बुलाया जाता है। मेरी भूमिका बहुत मजेदार है। इसे निभाने के लिए मुझे थाई भाषा सीखनी पड़ी।
आप पेइंग गेस्ट के तौर पर रही हैं?
मैं कलकत्ता में दो साल पेइंग गेस्ट के तौर पर रह चुकी हूं। मेरे अनुभव बुरे हैं। करियर के शुरुआती दिनों में मैं मॉडल थी। कलकत्ता में मॉडल को अपने घर में कोई नहीं रखना चाहता था। जो तैयार होते, वे पहले दस हजार रुपए एक्स्ट्रा मांगते और शर्ते अलग से रखते थे। बड़ी मुश्किल से एक महिला ने मुझे अपने घर में रहने की इजाजत दी। उसने कहा कि तुम्हे या तो अपने बाल काटकर छोटे करने पड़ेंगे या फिर दो चोटी बनाकर रखना पड़ेगा। स्थिति यह थी कि मैं रात को अपने घर जाने से डरती थी। काम खत्म होने के बाद आधी रात को दोस्तों को फोन करती और उनके यहां ठहरने की गुजारिश करती थी। मैंने दो साल के भीतर कलकत्ता में आठ ठिकाने बदले।
परितोष पेंटर की यह पहली फिल्म है। उनके निर्देशन में काम करने का अनुभव कैसा रहा?
परितोष थिएटर पृष्ठभूमि के हैं। यह फिल्म उन्हीं के लोकप्रिय नाटक पेइंग गेस्ट पर बनी है। वे शूटिंग के दौरान हमें इतना तक बता देते थे कि पात्र के चलने का अंदाज कैसा होगा? उनके निर्देशन में काम करते हुए मैंने एंज्वॉय किया।
पेइंग गेस्ट के बाद किन फिल्मों में दर्शक आपको देख सकेंगे?
इसके बाद मुक्ता आटर््स की फिल्म हैलो डार्लिग आएगी। फिर रन भोला रन, शो मैन और चाय गरम फिल्में प्रदर्शित होंगी। हाल में मैंने एक थ्रिलर फिल्म एक्सीडेंट ऑन हिल रोड साइन की है। उसमें मैं निगेटिव भूमिका निभा रही हूं। मैं शुद्ध रोमांटिक फिल्म करना चाहती हूं। मेरी ख्वाहिश है कि दिलीप कुमार के साथ एक रोमांटिक फिल्म में काम करूं।
आजकल आप गे समाज के पक्ष में खुलकर आवाज उठा रही हैं। इसके पीछे क्या कारण है?
मैं कॉलेज के दिनों से गे समाज को सपोर्ट कर रही हूं। अब मैं सेलेब्रिटी बन गयी हूं इसलिए लोग मेरी बातों को ध्यान से सुन रहे हैं। यह मुद्दा मेरे दिल के बेहद करीब है। दरअसल, मैं करियर के शुरूआती दिनों में कलकत्ता में अकेले रहती थी। वहां मेरा अपना कोई नहीं था। उस समय एक गे मेकअप आर्टिस्ट ने मेरी बहुत सहायता की। वे मां की तरह मेरा खयाल रखते थे। मैंने निजी जीवन और दुनिया के बारे में उनसे बहुत कुछ सीखा है। उन्हीं की वजह से मैं मिस इंडिया बनी। उन्होंने ही मिस इंडिया का फार्म भरकर भेजा था। मैं आज इस मुकाम पर उनकी वजह से हूं। मेरे बहुत सारे गे दोस्त हैं। मैं चाहती हूं कि समाज उन्हें स्वीकार करे।
-रघुवेन्द्र सिंह
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