नताशा शर्मा कलर्स के सीरियल ना आना इस देस लाडो में सिया की केंद्रीय भूमिका निभा कर दर्शकों को आकर्षित कर रही हैं। एक्टिंग नताशा के बचपन का शौक है यह बात उनके सभी दोस्त जानते थे। नताशा बताती है, पिछले साल जुलाई में जब मैं मुंबई एक पारिवारिक आयोजन में शिरकत करने के लिए आयी तो सारे दोस्त मुझे एक्टिंग में किस्मत आजमाने के लिए कहने लगे। मैंने पोर्टफोलियो बनवाया और अपनी फोटो मॉडल को-आर्डिनेटर्स को दे दिए। मुझे जल्द ही स्टार वन के शो श्श्श्हह.. फिर कोई है की एक कहानी में काम करने का मौका मिल गया। उसके बाद मैं अपना पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा करने के लिए दिल्ली वापस लौट गयी।
नताशा कहती है, मुझे नहीं पता था कि मुंबई फिर बुला लेगी। डीजे प्रोडक्शन हाउस की तरफ से मुझे रामलाल सीरियल के लिए फोन आया। मैं मुंबई आयी और उसके लिए आडिशन दिया। आजकल यही सीरियल मेरे घर आयी एक नन्हीं परी नाम से प्रसारित हो रहा है।
धारावाहिक ना आना इस देस लाडो नताशा को उनकी दोस्त डिंपी की वजह से मिला। नताशा बताती हैं, डिंपी पहले डीजे क्रिएशन में क्रिएटिव हेड थीं। अब वे शांकुतलम प्रोडक्शन हाउस में हैं। ना आना इस देस लाडो इसी प्रोडक्शन हाउस का सीरियल है। उन्होंने मुझे आडिशन के लिए बुलाया। किस्मत अच्छी थी मैं सिया की भूमिका के लिए चुन ली गयी।
अपनी भूमिका एवं कथानक के बारे में नताशा आगे कहती हैं, सिया साधारण लड़की है और घर में सबकी दुलारी है। उसे गलत चीजें बर्दाश्त नहीं होतीं। उसके पापा डॉक्टर हैं। उसके पापा का ट्रांसफर हरियाणा के ऐसे गांव में होता है जहां लड़कियों को पैदा होते ही मार दिया जाता है। सिया को यह बर्दाश्त नहीं होता है और वह उसके खिलाफ आवाज उठाती है।
नताशा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज से जर्नलिज्म में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। वे आत्मविश्वास के साथ कहती हैं, मैं रीयल लाइफ में सिया की तरह साधारण तरीके से रहती हूं और उसी की तरह विचारों से क्रांतिकारी हूं। मैं अर्थपूर्ण सीरियल से जुड़कर खुश हूं। मैं खुश हूं कि ना आना इस देस लाडो के जरिए मैं समाज को कन्या भ्रूण हत्या न करने का महत्वपूर्ण संदेश दे रही हूं।
नताशा खुश हैं कि उन्हें उनके परिवार का सपोर्ट मिल रहा है। नताशा को एक्टिंग के अलावा डांसिंग और कविता लिखने का शौक है। भावी योजनाओं के संदर्भ में वे कहती हैं, मैं ज्यादा दूर की नहीं सोचती हूं। मैं वर्तमान में जीती हूं और हर काम में अपना सौ प्रतिशत देने की कोशिश करती हूं। मैं हर तरह का शो करने के लिए तैयार हूं। मेरे हिसाब से भूमिकाएं छोटी-बड़ी नहीं होतीं। मैं हर किस्म की भूमिका करना चाहूंगी।
-रघुवेन्द्र सिंह
नताशा कहती है, मुझे नहीं पता था कि मुंबई फिर बुला लेगी। डीजे प्रोडक्शन हाउस की तरफ से मुझे रामलाल सीरियल के लिए फोन आया। मैं मुंबई आयी और उसके लिए आडिशन दिया। आजकल यही सीरियल मेरे घर आयी एक नन्हीं परी नाम से प्रसारित हो रहा है।
धारावाहिक ना आना इस देस लाडो नताशा को उनकी दोस्त डिंपी की वजह से मिला। नताशा बताती हैं, डिंपी पहले डीजे क्रिएशन में क्रिएटिव हेड थीं। अब वे शांकुतलम प्रोडक्शन हाउस में हैं। ना आना इस देस लाडो इसी प्रोडक्शन हाउस का सीरियल है। उन्होंने मुझे आडिशन के लिए बुलाया। किस्मत अच्छी थी मैं सिया की भूमिका के लिए चुन ली गयी।
अपनी भूमिका एवं कथानक के बारे में नताशा आगे कहती हैं, सिया साधारण लड़की है और घर में सबकी दुलारी है। उसे गलत चीजें बर्दाश्त नहीं होतीं। उसके पापा डॉक्टर हैं। उसके पापा का ट्रांसफर हरियाणा के ऐसे गांव में होता है जहां लड़कियों को पैदा होते ही मार दिया जाता है। सिया को यह बर्दाश्त नहीं होता है और वह उसके खिलाफ आवाज उठाती है।
नताशा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज से जर्नलिज्म में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। वे आत्मविश्वास के साथ कहती हैं, मैं रीयल लाइफ में सिया की तरह साधारण तरीके से रहती हूं और उसी की तरह विचारों से क्रांतिकारी हूं। मैं अर्थपूर्ण सीरियल से जुड़कर खुश हूं। मैं खुश हूं कि ना आना इस देस लाडो के जरिए मैं समाज को कन्या भ्रूण हत्या न करने का महत्वपूर्ण संदेश दे रही हूं।
नताशा खुश हैं कि उन्हें उनके परिवार का सपोर्ट मिल रहा है। नताशा को एक्टिंग के अलावा डांसिंग और कविता लिखने का शौक है। भावी योजनाओं के संदर्भ में वे कहती हैं, मैं ज्यादा दूर की नहीं सोचती हूं। मैं वर्तमान में जीती हूं और हर काम में अपना सौ प्रतिशत देने की कोशिश करती हूं। मैं हर तरह का शो करने के लिए तैयार हूं। मेरे हिसाब से भूमिकाएं छोटी-बड़ी नहीं होतीं। मैं हर किस्म की भूमिका करना चाहूंगी।
-रघुवेन्द्र सिंह
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