-रघुवेंद्र सिंह
सहज और सरल स्वभाव वाली अभिनेत्री विद्या बालन मुस्कराहट को अपना अमूल्य गहना मानती हैं। वे हमेशा प्रसन्न रहती हैं और अपने इर्द-गिर्द के लोगों को भी प्रसन्न देखने की इच्छा व्यक्त करती हैं। आज विद्या जीवन के नए वर्ष में प्रवेश कर रही हैं। अपने जन्मदिन के मौके पर वे अपने व्यक्तित्व के कुछ अलग पहलुओं से रूबरू करा रही हैं इस मुलाकात में..।
सबसे जुदा हूं: मैं बहुत इमोशनल लड़की हूं। हर बात दिल से सोचती हूं और इसीलिए मैं लोगों को जज भी दिल से ही करती हूं। यही वजह है कि मैं अक्सर लोगों को पहचानने में धोखा खा जाती हूं। पापा कहते रहते हैं, विद्या अब प्रैक्टिकल हो जाओ, लेकिन मैं खुद को बदल नहीं पाती। यह समस्या है, लेकिन क्या करूं! मैं ऐसी ही हूं। मेरे इस स्वभाव की वजह से ही शायद लोग मुझे पसंद करते हैं और प्यार भी करते हैं।
प्रतिस्पर्धा नहीं रखती: मैं जिंदगी अपने तरीके से जीती हूं। किसी से प्रतिस्पर्धा नहीं रखती। मेरी प्रतिस्पर्धा खुद से रहती है। मैं हमेशा खुद से आगे निकलने की होड़ में रहती हूं। यदि आप किसी से प्रतिस्पर्धा का भाव रखते हैं, तो आपके मन में उसके प्रति मैल आ जाता है। मैं शांत स्वभाव की हूं। अपना काम ईमानदारी से करती हूं और भगवान में विश्वास करती हूं। मेरा मानना है कि किस्मत में जो भी लिखा होगा, उसे मुझसे कोई नहीं छीन सकता।
मेहनत से पाया सब कुछ: मैंने अपनी पहचान बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है। किसी की मदद नहीं ली। हम पांच धारावाहिक के बाद मुझे नहीं लग रहा था कि कोई फिल्मों में काम देगा! मैं निराश हुई थी, लेकिन उस वक्त भी हिम्मत नहीं हारी। मैं लगातार प्रयास करती रही। प्रदीप दादा का साथ मिला और अपनी मंजिल की तरफ बढ़ चली। पहली फिल्म परिणीता से ही दर्शकों ने स्वीकार कर लिया। मैं दर्शकों की शुक्रगुजार हूं। उनका प्यार मेरा उत्साह और बढ़ाता रहा। उनका प्यार ही मेरी ऊर्जा है।
जाना है बहुत दूर: मैंने अब तक जो चाहा, मुझे वह सब मिला है। आज मेरे पास नाम, पैसा, शोहरत और लोगों का प्यार है। इसके लिए मैं भगवान की शुक्रगुजार हूं। मैं बहुत खुश हूं, लेकिन सच कहूं, तो संतुष्ट नहीं हूं। अभी तक जितना मिला है, उससे अधिक पाने की चाह है। मैं महत्वाकांक्षी लड़की हूं। हमेशा सीखने में यकीन करती हूं। लोगों का प्यार और साथ मिलता रहा, तो मेरा सफर बहुत लंबा चलेगा।
सहज और सरल स्वभाव वाली अभिनेत्री विद्या बालन मुस्कराहट को अपना अमूल्य गहना मानती हैं। वे हमेशा प्रसन्न रहती हैं और अपने इर्द-गिर्द के लोगों को भी प्रसन्न देखने की इच्छा व्यक्त करती हैं। आज विद्या जीवन के नए वर्ष में प्रवेश कर रही हैं। अपने जन्मदिन के मौके पर वे अपने व्यक्तित्व के कुछ अलग पहलुओं से रूबरू करा रही हैं इस मुलाकात में..।
सबसे जुदा हूं: मैं बहुत इमोशनल लड़की हूं। हर बात दिल से सोचती हूं और इसीलिए मैं लोगों को जज भी दिल से ही करती हूं। यही वजह है कि मैं अक्सर लोगों को पहचानने में धोखा खा जाती हूं। पापा कहते रहते हैं, विद्या अब प्रैक्टिकल हो जाओ, लेकिन मैं खुद को बदल नहीं पाती। यह समस्या है, लेकिन क्या करूं! मैं ऐसी ही हूं। मेरे इस स्वभाव की वजह से ही शायद लोग मुझे पसंद करते हैं और प्यार भी करते हैं।
प्रतिस्पर्धा नहीं रखती: मैं जिंदगी अपने तरीके से जीती हूं। किसी से प्रतिस्पर्धा नहीं रखती। मेरी प्रतिस्पर्धा खुद से रहती है। मैं हमेशा खुद से आगे निकलने की होड़ में रहती हूं। यदि आप किसी से प्रतिस्पर्धा का भाव रखते हैं, तो आपके मन में उसके प्रति मैल आ जाता है। मैं शांत स्वभाव की हूं। अपना काम ईमानदारी से करती हूं और भगवान में विश्वास करती हूं। मेरा मानना है कि किस्मत में जो भी लिखा होगा, उसे मुझसे कोई नहीं छीन सकता।
मेहनत से पाया सब कुछ: मैंने अपनी पहचान बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है। किसी की मदद नहीं ली। हम पांच धारावाहिक के बाद मुझे नहीं लग रहा था कि कोई फिल्मों में काम देगा! मैं निराश हुई थी, लेकिन उस वक्त भी हिम्मत नहीं हारी। मैं लगातार प्रयास करती रही। प्रदीप दादा का साथ मिला और अपनी मंजिल की तरफ बढ़ चली। पहली फिल्म परिणीता से ही दर्शकों ने स्वीकार कर लिया। मैं दर्शकों की शुक्रगुजार हूं। उनका प्यार मेरा उत्साह और बढ़ाता रहा। उनका प्यार ही मेरी ऊर्जा है।
जाना है बहुत दूर: मैंने अब तक जो चाहा, मुझे वह सब मिला है। आज मेरे पास नाम, पैसा, शोहरत और लोगों का प्यार है। इसके लिए मैं भगवान की शुक्रगुजार हूं। मैं बहुत खुश हूं, लेकिन सच कहूं, तो संतुष्ट नहीं हूं। अभी तक जितना मिला है, उससे अधिक पाने की चाह है। मैं महत्वाकांक्षी लड़की हूं। हमेशा सीखने में यकीन करती हूं। लोगों का प्यार और साथ मिलता रहा, तो मेरा सफर बहुत लंबा चलेगा।
1 comment:
हँसी-खुशी से बढ रही, प्यारी विध्या-बालन.
हँसी-खुशी-पूर्वक हुआ, उसका लालन-पालन.
उसका लालन-पालन, फ़िल्म-दर्शकों द्वारा.
खूब मिला है प्यार, सुधि दर्शकों द्वारा.
कह साधक बाक्स-आफ़िस की सीढी ही चढ रही.
प्यारी विद्या-बालन, हँसी-खुशी से बढ रही.
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