Wednesday, January 14, 2009

दिल की आवाज पर भरोसा करता हूं: अभय देओल | मुलाकात

अभय देओल सनी और बॉबी देओल से केवल अलग पहचान ही नहीं बना रहे हैं, बल्कि वे धीरे-धीरे मुख्यधारा की कॉमर्शिअॅल फिल्मों से अलग छोटे बजट की अर्थपूर्ण फिल्मों का हिस्सा बन रहे हैं। हाल ही में उनकी ऐसी ही फिल्म ओए लकी लकी ओए प्रदर्शित हुई। वे इस फिल्म में लकी चोर की दिलचस्प भूमिका में दिखे। फिल्म के प्रदर्शन के साथ ही अभय ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रखने की घोषणा की। उनकी होम प्रोडक्शन कंपनी फॉरबिडेन फिल्म्स की पहली फिल्म जंक्शन होगी। पिछले दिनों अभय से मुलाकात हुई। प्रस्तुत हैं, उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश..
ओए लकी लकी ओए में आपके काम की सराहना हुई। ऐसे रोल का चुनाव आप कैसे करते हैं?
फिल्म को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। मैं बहुत खुश हूं। यह फिल्म आम दर्शक और फिल्म समीक्षकों को बहुत पसंद आई। मेरे पास रोजाना अलग तरह की फिल्मों के प्रस्ताव आते हैं। मैं सबकी स्क्रिप्ट ध्यान से सुनता हूं, लेकिन स्वीकृति उसी को देता हूं, जिसे मेरा दिल कहता है। मैं रोल को दिल से जीता हूं और हमेशा अपने दिल की आवाज पर भरोसा करता हूं। कुल मिलाकर दिल से लिया गया मेरा एक और निर्णय सफल हुआ।
आपने सनी और बॉबी देओल की तरह कभी ऐक्शन फिल्में नहीं कीं और न ही कॉमर्शिअॅल फिल्में करते हैं। वजह..?
मैं कॉमर्शिअॅल फिल्में करने से डरता हूं। सच तो यह है कि मैं खुद को उन फिल्मों के लिए उपयुक्त नहीं समझता। यही वजह है कि उस तरह की फिल्में नहीं कर रहा हूं। मुझे सनी और बॉबी भैया की फिल्में अच्छी लगती हैं। उनकी फिल्मों को बड़ी संख्या में दर्शक भी मिलते हैं, लेकिन मैं खुश हूं कि अब मेरी फिल्मों यानी पैरेलल सिनेमा को भी खूब दर्शक मिल रहे हैं। वैसे, यह भी एक सच है कि हाल के दिनों में फार्मूला फिल्मों का बाजार गिरा है।
क्या आप तय करके आए थे कि सिर्फ छोटे बजट की फिल्में ही करेंगे?
मैं ऐसी कोई रणनीति बनाकर ऐक्टिंग में नहीं आया था। सब अपने-आप हुआ है। मेरी किस्मत अच्छी है कि आज मल्टीप्लेक्स आ गए हैं। मैं जिस तरह की फिल्में कर रहा हूं, उन्हें दर्शक मिल रहे हैं। शुरू में पैरेलल फिल्मों में काम करने के मेरे निर्णय के कारण न केवल परिवार के लोग डर गए थे, बल्कि सच तो यह है कि मैं खुद भी डरा हुआ था, लेकिन बाद में मुझे सफलता मिली, तो अब परिजन बहुत खुश हैं।
इतनी जल्दी आपने फिल्म निर्माण में आने का निर्णय कैसे ले लिया? आप कैसी फिल्में बनाएंगे?
मेरे मित्र अतुल सब्बरवाल ने मुझे एक कहानी सुनाई। मुझे कहानी इतनी पसंद आई कि उसे बनाने का निर्णय ले लिया। मैंने फिल्म निर्माण में आने की योजना नहीं बनाई थी। मेरे दिल ने कहा और मैं इसमें आ गया। फिल्म जंक्शन को अतुल निर्देशित करेंगे। उसमें मैं छोटी भूमिका में नजर आऊंगा। नायक की मुख्य भूमिका में दूसरे कलाकार हैं। मैंने अभी तय नहीं किया है कि मैं किस किस्म की फिल्मों का निर्माण करूंगा! वैसा करने से मैं सीमा में बंध जाऊंगा और यह मुझे पसंद नहीं है।
हाल में आपने ब्लॉग लिखना आरंभ किया है। किसी से प्रेरित हुए या आपको लेखन का शौक है?
मैं किसी से प्रेरित होकर ब्लॉग नहीं लिख रहा हूं। मुझसे फिल्म ओए लकी.. की निर्माता कंपनी यूटीवी ने ऐसा करने के लिए कहा। मुझे फिल्म के प्रचार का उनका यह तरीका अच्छा लगा और मैंने ब्लॉग लिखना शुरू कर दिया। मुझे ब्लॉगिंग का शौक नहीं है। हां, मुझे लिखने-पढ़ने का शौक जरूर है। मैं कविताएं लिखता हूं।
आपने ब्लॉग में लिखा है कि फिल्मों का प्रचार करना पसंद नहीं है। आपको नहीं लगता कि फिल्म का प्रचार ऐक्टर का महत्वपूर्ण काम है?
मुझे एक ही सवाल का बार-बार जवाब देना अच्छा नहीं लगता। मेरे हिसाब से ऐक्टर का काम है ऐक्टिंग करना। फिल्म का प्रचार करना निर्माता का काम है, लेकिन आज फिल्म के प्रचार में ऐक्टर की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। मैं इस बात को स्वीकार करता हूं, लेकिन दिल से कह रहा हूं कि मुझे फिल्मों का प्रचार करना अच्छा नहीं लगता।
चर्चा है कि अनुराग कश्यप को फिल्म देव डी बनाने का आइडिया आपने ही दिया था?
हां, मैंने ही अनुराग को यह फिल्म बनाने का आइडिया दिया था। उसमें देवदास बेहद आधुनिक अंदाज में दिखाई देगा। मेरी अगली फिल्म यही है।
-रघुवेंद्र सिंह

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