Monday, January 19, 2009

अभिनय से निर्देशन मुश्किल लगा: नंदिता दास

नंदिता दास निर्देशित पहली फिल्म फिराक में नसीरूद्दीन शाह, परेश रावल, संजय सूरी, दीप्ति नवल, टिस्का चोपड़ा और शहाना गोस्वामी मुख्य भूमिका में हैं। पिछले दिनों इस फिल्म का प्रदर्शन टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में किया गया। प्रस्तुत है, फिल्म के संदर्भ में नंदिता दास से बातचीत-
फिल्म निर्देशन का इरादा पहले से था या अभिनय से दिल हट रहा है?
मेरे मन में काफी समय से फिल्म निर्देशित करने का विचार था। बस, सही सब्जेक्ट की खोज में थी। अभिनय से बोर होने की बात तो संभव ही नहीं है, क्योंकि आई लव एक्टिंग।
फिराक किस तरह की फिल्म है?
मैं अपनी फिल्म को किसी श्रेणी में नहीं रखना चाहती। मैंने एक अच्छी फिल्म बनाई है। यह गुजरात में 2002 में हुए दंगों के एक महीने बाद की कहानी है। इसमें हमने दंगे नहीं दिखाए हैं। दंगे के बाद की उस जिंदगी पर प्रकाश डाला है जब लोग फिर से जीवन को संवारने-संभालने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें पांच अलग-अलग कहानियां एक साथ चलती हैं। सारी कहानियां एक-दूसरे में गुथी हैं। यह एक संवेदनशील फिल्म है।
पहली फिल्म के लिए आपने गंभीर विषय का चुनाव क्यों किया?
मुझे यह सब्जेक्ट अच्छा लगा। मैं अर्थपूर्ण सिनेमा से जुड़ी रही हूं और उसी तरह का सिनेमा बनाना चाहती हूं। इसलिए फिराक जैसी अर्थपूर्ण फिल्म बनाई है।
निर्देशन का अनुभव कैसा रहा? अभिनय और निर्देशन में क्या ज्यादा मुश्किल है?
फिल्म बनाने की मेरी जर्नी बहुत ही चैलेंजिंग, स्ट्रेसफुल और मजेदार रही। मुझे कई खंट्टे-मीठे अनुभवों से गुजरना पड़ा। एक एक्टर के तौर पर हम सोचते है कि फिल्म डायरेक्ट करना मुश्किल काम नहीं है। अब मैं ऐसा नहीं सोचती, बल्कि अब निर्देशकों को देखने का मेरा नजरिया बदल गया है। निर्देशक पर एक्टर से ज्यादा जिम्मेदारी होती है। निर्देशक को फिल्म के प्री-प्रोडक्शन से लेकर पोस्ट प्रोडक्शन तक ध्यान देना पड़ता है, जबकि एक्टर सिर्फ अपनी लाइनों पर ही ध्यान देते हैं। मुझे निर्देशन अभिनय से मुश्किल लगा।
आप एक्ट्रेस के तौर पर हमेशा सीरियस फिल्में ही करती हैं। क्या वजह है कि आप कॉमर्शियल फिल्में नहीं करतीं?
मेरे बारे में लोगों की यह धारणा बन चुकी है कि नंदिता दास सिर्फ सीरियस फिल्में ही करती है। मैं एक एक्टर हूं और हर तरह की फिल्मों का हिस्सा बनना चाहूंगी। फिलहाल, मैं जो काम कर रही हूं, उससे खुश हूं।
आगे की क्या योजना है?
फिलहाल तो अपनी फिल्म फिराक को लोगों तक पहुंचाना चाहती हूं। मैंने दिल से एक अच्छी फिल्म बनाई है और चाहती हूं कि पब्लिक उसे आकर देखे और अपनी राय दे।

-रघुवेंद्र सिंह

1 comment:

सुशील छौक्कर said...

यह फिल्म कब आ रही है ये तो पता नही। फिल्म समारोह में तो दिखाई जा रही है।