Sunday, January 18, 2009

किसी की सिफारिश पर काम नहीं मिलता: अध्ययन सुमन

शेखर सुमन के बेटे अध्ययन सुमन अब, भंट्ट कैंप में प्रवेश कर चुके हैं। इस कैंप की उनकी पहली फिल्म राज द मिस्ट्री कंटीन्यूस है। इस फिल्म को राज-टू भी कहा जा रहा है। मोहित सूरी निर्देशित यह फिल्म हॉरर श्रेणी की है। अध्ययन इसे अपनी डेब्यू फिल्म मान रहे हैं। पिछले साल आयी अपनी पहली फिल्म हाल-ए-दिल को वे बुरे सपने की भांति भुला चुके हैं। अध्ययन से बातचीत-
राज टीएमसी,विषयवस्तु से अधिक कंगना और आपके प्रेम-प्रसंग को लेकर चर्चा में है। क्या ये फिल्म की पब्लिसिटी का हिस्सा है?
जी नहीं। मैं और कंगना सचमुच एक-दूसरे से प्यार करते हैं। यह हमारा निजी मामला है और हम इसे अपने तक ही रखना चाहते हैं, लेकिन मीडिया मनमानी कर रहा है। हमें बुरा लगता है, जब लोग हमारे काम को छोड़कर बाकी सारी बातें लिखते हैं और चौंकाने वाली बात यह है कि वो सब बातें झूठ होती हैं। मुझे नहीं लगता कि किसी के रिश्ते को भुनाकर फिल्म को लाभ पहुंचाया जा सकता है।
क्या राज-टीएमसी सुपरहिट फिल्म राज का सीक्वल है? इसकी कहानी के बारे में बताएं।
इस फिल्म का राज से कोई नाता नहीं है। यह सुपरमॉडल नंदिता की कहानी है। वह एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म मेकर यश दयाल से प्यार करती है। उसकी जिंदगी में तब भयानक बदलाव आता है जब उसकी मुलाकात पेंटर पृथ्वी से होती है। दरअसल, वह भूत-प्रेत में बहुत यकीन करती है और यही बात उसके लिए खतरनाक साबित होती है। यह फिल्म संदेश देती है कि इंसान के अंदर की बुराई ही भूत होती है।
आपकी क्या भूमिका है? कंगना और आपके बीच कैसी केमिस्ट्री देखने को मिलेगी?
मैं इसमें यश दयाल की भूमिका निभा रहा हूं। उसकी उम्र 25 वर्ष है। मेरे लिए इस भूमिका को निभाना काफी मुश्किल रहा, क्योंकि यश उम्र में मुझसे पांच वर्ष बड़ा है। वह फ्रीलंास जर्नलिस्ट भी है। पृथ्वी की भूमिका इमरान हाशमी निभा रहे हैं।
कंगना की किस खासियत ने आपका दिल चुरा लिया?
उनकी खुद्दारी ने। वे आत्मविश्वास से भरी तेज-तर्रार लड़की हैं। उन्होंने मेहनत के बल पर इंडस्ट्री में अपना सम्मानित स्थान बनाया है। वे जब हिमाचल से मुंबई आयी थीं, तब उनका यहां कोई परिचित नहीं था। अपने दम पर उन्होंने सब कुछ हासिल किया है। वे हमेशा काम को प्राथमिकता देती हैं। उनकी यही सब बातें मुझे भा गईं। वे मेरे लिए बहुत स्पेशल हैं और भविष्य में भी रहेंगी।
चर्चा है कि पापा शेखर की सिफारिश पर आपको भंट्ट कैंप में एंट्री मिली है। सच्चाई क्या है?
किसी की सिफारिश पर यहां कोई काम नहीं देता और न ही नाम के दम पर काम मिलता है। पापा की वजह से मुझे सिर्फ हाल-ए-दिल मिली थी। अब मेरी काबिलियत की बदौलत मुझे फिल्में मिल रही हैं। भंट्ट साहब ने कहा भी था कि उन्होंने समाज सेवा सेंटर नहीं खोल रखा है। मैं डिजर्व करता हूं इसलिए वे मुझे साइन कर रहे हैं।
आपकी पहली फिल्म हाल-ए-दिल थी। फिर राज टीएमसी को डेब्यू फिल्म कैसे कह रहे हैं?
मैं हाल-ए-दिल के बारे में बात नहीं करना चाहता। मैं उस फिल्म को भुला चुका हूं। राजटी टीएमसी मेरी परफेक्ट लांच है। भंट्ट साहब इसमें मुझे इंट्रोड्यूस का क्रेडिट भी दे रहे हैं। इस फिल्म से मेरी सही शुरुआत हो रही है। -रघुवेंद्र सिंह

No comments: