मुंबई। फिल्मकार एवं अभिनेता सतीश कौशिक को इस बात का गहरा दुख है कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री ने उन्हें उचित सम्मान नहीं दिया। सतीश कौशिक के मुताबिक, मैंने 2007 में एक अंगे्रजी फिल्म ब्रिक लेन में काम किया था। उस फिल्म के प्रदर्शन के बाद विदेश के लोगों ने मुझे जो प्यार और इज्जत दी, उसे देखने के बाद मुझे लगा कि काश भारत के लोगों ने भी मुझे ऐसा ही सम्मान दिया होता। मैं पिछले पच्चीस वर्षो से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अभिनय एवं निर्देशन कर रहा हूं, लेकिन यहां के लोगों ने मुझे कभी गंभीरता से नहीं लिया। सच्चाई तो यह है कि भारत में हास्य कलाकारों की इज्जत नहीं की जाती। लोग उन्हें हल्के से लेते हैं। महमूद और जॉनी वाकर को छोड़कर किसी हास्य कलाकार को लोगों ने गंभीरता से नहीं लिया। अजीब बात तो यह है कि परेश रावल जैसे कलाकार जब गंभीर काम करते हैं, तब उन्हें नोटिस किया जाता है। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय एवं फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट पुणे से अभिनय के गुर सीखने वाले सतीश कौशिक फिल्म मासूम से अभिनय के क्षेत्र में आए। रूप की रानी चोरों का राजा, प्रेम, हमारा दिल आपके पास है, मुझे कुछ कहना है और तेरे नाम सतीश कौशिक की बतौर निर्देशक उल्लेखनीय फिल्में हैं। कैलेंडर एवं पप्पू पेजर उनकी यादगार भूमिकाएं हैं। सतीश कौशिक आगे कहते हैं, मैंने फैसला किया है कि अब मैं गंभीर और पुख्ता काम करूंगा। तेरे संग फिल्म उस दिशा में मेरा पहला कदम है। मैं जल्द ही एक टीवी सीरियल में अभिनय करता नजर आऊंगा। इसके अलावा मैं इंटरनेशनल फिल्म रोड और विराग मिश्रा की एक फिल्म में काम कर रहा हूं। इन फिल्मों के प्रदर्शन के बाद मेरे प्रति लोगों की धारणा बदलेगी।
-रघुवेन्द्र सिंह
-रघुवेन्द्र सिंह
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