कैटरीना कैफ की अपार सफलता और असीम लोकप्रियता लोगों के लिए हैरानी की बात है। हो भी क्यों न? विदेश में पली-बढ़ी, हिंदी से अनभिज्ञ और भारतीय सिने प्रेमियों की रुचि से अंजान कैटरीना ने कम समय में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की शीर्ष अभिनेत्री का दर्जा जो हासिल कर लिया है! कुछ लोग तो उन्हें गॉडेस ऑफ लक यानी किस्मत की देवी मानने लगे हैं। कैटरीना इस वक्त लंदन में अपने परिवार के साथ लंबी छुट्टी पर हैं। लंदन रवाना होने से पहले उन्होंने अपनी सफलता के राज, जिंदगी के खोए अनमोल पल, सलमान खान से शादी, नई फिल्मों अजब प्रेम की गजब कहानी, दे दना दन और राजनीति और अपने नए लक्ष्य से पर्दा उठाया। प्रस्तुत हैं उसके प्रमुख अंश..
गॉडेस ऑफ लक..नो: प्लीज, मुझे गॉडेस ऑफ लक मत कहिए। यह सही नहीं है। मैं आज जिस मुकाम पर हूं, वहां पहुंचने के लिए दिन-रात मेहनत की है। मुझे नहीं लगता कि मैं किसी के लिए लकी हूं। एक प्रोजेक्ट या फिल्म की सफलता में सैंकड़ों लोगों का योगदान होता है। सबकी कड़ी मेहनत, समर्पण और लगन उसमें होती है। ऐसे में किसी फिल्म की सफलता का श्रेय सिर्फ मुझे देना सही नहीं होगा। यदि लोग जिंदगी में ऊंचा मुकाम हासिल करना चाहते हैं, तो खुद पर भरोसा रखिए, सही निर्णय लीजिए और अपना सौ प्रतिशत दीजिए। मेरी सफलता का राज यही है। मेरे हिसाब से सफलता का कोई विकल्प नहीं होता।
खोए हैं अनमोल पल: मैंने पंद्रह वर्ष की उम्र में काम करना शुरू कर दिया था। उस उम्र में लोग कॉलेज जाते हैं, दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करते हैं। सही मायने में वह उम्र जिंदगी को एंज्वॉय करने की होती है, लेकिन मैंने उस अनमोल समय को काम के चक्कर में खो दिया। दरअसल, मुझे पता चल गया था कि मेरी देखरेख करने वाला कोई नहीं है। मैं कम उम्र में जिम्मेदार बन गई थी। मैं कभी यूनिवर्सिटी नहीं गई। आज मुझे अफसोस होता है, लेकिन जब अपनी उपलब्धियों को देखती हूं, तो खुशी होती है। इस मुकाम पर पहुंचने के लिए मैंने बहुत कुछ खोया भी है। मैंने लंबा संघर्ष किया है। मैं आज उस मुकाम पर हूं, जहां अपनी पसंद के लोगों के साथ काम करती हूं। मुझे खुद पर गर्व है।
दूर कर रही हूं कमियां: मैं जब से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में आई हूं, लोग मेरी हिंदी की आलोचना करते रहे हैं। मैंने सबकी आलोचना को सकारात्मक लिया और अपनी हिंदी सुधारने का फैसला किया। मैं अपनी कमियों को दूर कर रही हूं। मैं पिछले कुछ महीनों से हिंदी सीख रही हूं। अब हिंदी पर मेरी अस्सी प्रतिशत पकड़ बन गई है। सिंह इज किंग और न्यूयॉर्क फिल्मों की डबिंग मैंने खुद की है। अक्षय कुमार ने मेरी हिंदी की तारीफ भी की। प्रेस क्रॉन्फ्रेंस में लोग शिकायत करते हैं कि मैं हिंदी में जवाब क्यों नहीं देती? सच कहूं, तो वहां कन्फ्यूजन रहती है। मैं कोशिश में हूं कि लोगों की यह शिकायत भी जल्द दूर करूं।
दांव-पेंच सीख लिए: अब मैं हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के दांव-पेंच सीख गई हूं। मैंने लोगों की बातों पर आंख मूंदकर भरोसा करना छोड़ दिया है। फिल्म इंडस्ट्री में कुछ ही लोग मेरे क्लोज हैं। सच कहूं, तो पहले जब लोग मेरा नाम किसी के साथ जोड़ते थे, तब मुझे गुस्सा आता था। दरअसल, मैं इमोशनल हूं। मुझे छोटी-छोटी बातें हर्ट करती हैं, लेकिन अब मैं ऐसी बातें सुनकर हंसती हूं। अब मैं अपने काम पर फोकस कर रही हूं। मैं जानती हूं कि जिंदगी में सब कुछ अच्छा नहीं हो सकता। जो मेरे अपने हैं, वे सच्चाई जानते हैं।
बोर नहीं करूंगी: मैं अलग-अलग किस्म की फिल्में कर रही हूं, ताकि दर्शक बोर न होएं। राजकुमार संतोषी की अजब प्रेम की गजब कहानी प्योर रोमांटिक फिल्म है। यह सितंबर में रिलीज होगी। प्रकाश झा की राजनीति पॉलिटिकल ड्रामा है। स्पष्ट कर दूं कि उसमें मैं सोनिया गांधी का रोल नहीं कर रही हूं और न हीं मैं उसमें पूरी तरह से नॉन ग्लैमरस अंदाज में दिखाई दूंगी। उस फिल्म में मेरे कैरेक्टर के कई शेड्स लोगों को देखने को मिलेंगे। प्रियदर्शन की फिल्म दे दना दन रोमांटिक कॉमेडी है। मुझे डर लग रहा है कि इन फिल्मों को देखने के बाद लोग क्या रिएक्ट करेंगे? मुझे लगता है कि लोग चौंक जाएंगे।
शादी अभी नहीं: लोगों ने मुझे जो प्यार दिया है, उसके लिए मैं शुक्रिया कहती हूं। लोगों के प्यार की वजह से ही आज मैं इस मुकाम पर हूं। मेरा लक्ष्य लंबे समय तक लोगों का मनोरंजन करना है। मैं शादी अभी नहीं करना चाहती हूं। इस वक्त मैं फिल्मों में बहुत व्यस्त हूं। फिल्मों की शूटिंग से फुर्सत मिलती है, तो मैं अपने परिवार के साथ वक्त बिताने विदेश चली जाती हूं। मुझे नहीं लगता कि मैं अभी शादी जैसी बड़ी जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार हूं।
गॉडेस ऑफ लक..नो: प्लीज, मुझे गॉडेस ऑफ लक मत कहिए। यह सही नहीं है। मैं आज जिस मुकाम पर हूं, वहां पहुंचने के लिए दिन-रात मेहनत की है। मुझे नहीं लगता कि मैं किसी के लिए लकी हूं। एक प्रोजेक्ट या फिल्म की सफलता में सैंकड़ों लोगों का योगदान होता है। सबकी कड़ी मेहनत, समर्पण और लगन उसमें होती है। ऐसे में किसी फिल्म की सफलता का श्रेय सिर्फ मुझे देना सही नहीं होगा। यदि लोग जिंदगी में ऊंचा मुकाम हासिल करना चाहते हैं, तो खुद पर भरोसा रखिए, सही निर्णय लीजिए और अपना सौ प्रतिशत दीजिए। मेरी सफलता का राज यही है। मेरे हिसाब से सफलता का कोई विकल्प नहीं होता।
खोए हैं अनमोल पल: मैंने पंद्रह वर्ष की उम्र में काम करना शुरू कर दिया था। उस उम्र में लोग कॉलेज जाते हैं, दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करते हैं। सही मायने में वह उम्र जिंदगी को एंज्वॉय करने की होती है, लेकिन मैंने उस अनमोल समय को काम के चक्कर में खो दिया। दरअसल, मुझे पता चल गया था कि मेरी देखरेख करने वाला कोई नहीं है। मैं कम उम्र में जिम्मेदार बन गई थी। मैं कभी यूनिवर्सिटी नहीं गई। आज मुझे अफसोस होता है, लेकिन जब अपनी उपलब्धियों को देखती हूं, तो खुशी होती है। इस मुकाम पर पहुंचने के लिए मैंने बहुत कुछ खोया भी है। मैंने लंबा संघर्ष किया है। मैं आज उस मुकाम पर हूं, जहां अपनी पसंद के लोगों के साथ काम करती हूं। मुझे खुद पर गर्व है।
दूर कर रही हूं कमियां: मैं जब से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में आई हूं, लोग मेरी हिंदी की आलोचना करते रहे हैं। मैंने सबकी आलोचना को सकारात्मक लिया और अपनी हिंदी सुधारने का फैसला किया। मैं अपनी कमियों को दूर कर रही हूं। मैं पिछले कुछ महीनों से हिंदी सीख रही हूं। अब हिंदी पर मेरी अस्सी प्रतिशत पकड़ बन गई है। सिंह इज किंग और न्यूयॉर्क फिल्मों की डबिंग मैंने खुद की है। अक्षय कुमार ने मेरी हिंदी की तारीफ भी की। प्रेस क्रॉन्फ्रेंस में लोग शिकायत करते हैं कि मैं हिंदी में जवाब क्यों नहीं देती? सच कहूं, तो वहां कन्फ्यूजन रहती है। मैं कोशिश में हूं कि लोगों की यह शिकायत भी जल्द दूर करूं।
दांव-पेंच सीख लिए: अब मैं हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के दांव-पेंच सीख गई हूं। मैंने लोगों की बातों पर आंख मूंदकर भरोसा करना छोड़ दिया है। फिल्म इंडस्ट्री में कुछ ही लोग मेरे क्लोज हैं। सच कहूं, तो पहले जब लोग मेरा नाम किसी के साथ जोड़ते थे, तब मुझे गुस्सा आता था। दरअसल, मैं इमोशनल हूं। मुझे छोटी-छोटी बातें हर्ट करती हैं, लेकिन अब मैं ऐसी बातें सुनकर हंसती हूं। अब मैं अपने काम पर फोकस कर रही हूं। मैं जानती हूं कि जिंदगी में सब कुछ अच्छा नहीं हो सकता। जो मेरे अपने हैं, वे सच्चाई जानते हैं।
बोर नहीं करूंगी: मैं अलग-अलग किस्म की फिल्में कर रही हूं, ताकि दर्शक बोर न होएं। राजकुमार संतोषी की अजब प्रेम की गजब कहानी प्योर रोमांटिक फिल्म है। यह सितंबर में रिलीज होगी। प्रकाश झा की राजनीति पॉलिटिकल ड्रामा है। स्पष्ट कर दूं कि उसमें मैं सोनिया गांधी का रोल नहीं कर रही हूं और न हीं मैं उसमें पूरी तरह से नॉन ग्लैमरस अंदाज में दिखाई दूंगी। उस फिल्म में मेरे कैरेक्टर के कई शेड्स लोगों को देखने को मिलेंगे। प्रियदर्शन की फिल्म दे दना दन रोमांटिक कॉमेडी है। मुझे डर लग रहा है कि इन फिल्मों को देखने के बाद लोग क्या रिएक्ट करेंगे? मुझे लगता है कि लोग चौंक जाएंगे।
शादी अभी नहीं: लोगों ने मुझे जो प्यार दिया है, उसके लिए मैं शुक्रिया कहती हूं। लोगों के प्यार की वजह से ही आज मैं इस मुकाम पर हूं। मेरा लक्ष्य लंबे समय तक लोगों का मनोरंजन करना है। मैं शादी अभी नहीं करना चाहती हूं। इस वक्त मैं फिल्मों में बहुत व्यस्त हूं। फिल्मों की शूटिंग से फुर्सत मिलती है, तो मैं अपने परिवार के साथ वक्त बिताने विदेश चली जाती हूं। मुझे नहीं लगता कि मैं अभी शादी जैसी बड़ी जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार हूं।
-रघुवेन्द्र सिंह
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