जायद खान ने पिता बनने के बाद फिल्मों से कुछ समय के लिए दूरी बना ली थी। वह अपना ज्यादातर समय बेटे जिदान के साथ व्यतीत कर रहे थे। एक विराम के बाद पुन: जायद की सक्रियता फिल्मों में बढ़ गई है। उनकी अपूर्व लाखिया के निर्देशन में बनी फिल्म मिशन इस्तानबुल प्रदर्शन के लिए तैयार है। जायद से फिल्म, उनके निजी जीवन और कॅरियर के संबंध में बातचीत-
[क्या यह सच है कि निर्देशक अपूर्व ने आपसे मिशन इस्तानबुल में मेहमान भूमिका के लिए संपर्क किया था?]
जी हां। अपूर्व पहली बार जब मुझसे इस फिल्म के संबंध में मिलने आए तो उन्होंने कहा कि यार, तुझे मेरी फिल्म में एक मेहमान भूमिका निभानी है। मैंने उनसे कहा कि मेहमान भूमिकाएं वे कलाकार करते हैं जो बहुत ज्यादा व्यस्त होते हैं और मेरे पास इस वक्त कोई फिल्म नहीं है। अच्छा होगा अगर आप अपनी फिल्म में मुझे फुल लेंथ किरदार निभाने का मौका दें। वे उस वक्त मुझसे बिना कुछ कहे चुपचाप चले गए। फिर एक सप्ताह बाद वे मेरे पास जर्नलिस्ट विकास सागर का किरदार निभाने का प्रस्ताव लेकर आए।
[फिल्म को साइन करने की सबसे बड़ी वजह क्या है?]
इसका विषय, मेरा किरदार और निर्देशक अपूर्व लाखिया। मैं इस फिल्म में पहली बार एक टीवी जर्नलिस्ट का किरदार निभा रहा हूं। अपूर्व ने जब पहली बार मुझे फिल्म की स्क्रिप्ट सुनाई थी, उसी वक्त मेरा दिल इस फिल्म पर आ गया था। यही वजह है कि मैंने अपूर्व से फिल्म में फुल लेंथ किरदार निभाने की इच्छा जाहिर की। यह फिल्म आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दे को अलग अंदाज में पेश करती है।
[फिल्म के प्रोमो में आप स्टाइलिश अंदाज में स्टंट और एक्शन करते हुए नजर आ रहे हैं। किसी टीवी जर्नलिस्ट को हकीकत में क्या आपने ऐसे कारनामें करते हुए देखा है?]
ठीक आपकी तरह मैंने भी अपूर्व के सामने ऐसा ही सवाल किया था, जब उन्होंने मुझसे ये दृश्य करने की बात कही थी। मैं स्क्रिप्ट में अपने किरदार विकास को एक्शन करते हुए पढ़कर हैरान हुआ था। मैंने उनसे कहा कि जर्नलिस्ट रीयल लाइफ में ऐसे काम नहीं करते हैं। जवाब में उन्होंने मुझसे कहा कि अगर हम पर्दे पर जर्नलिस्ट को रीयल लाइफ की तरह पेश करेंगे तो वो मजेदार नहीं लगेगा इसलिए ग्लैमर और एक्शन वगैरह उसके किरदार में जोड़ा गया है।
[अपने किरदार की तुलना किस टीवी जर्नलिस्ट से करना पसंद करेंगे?]
राजदीप सरदेसाई से। उन्हीं की तरह विकास बेहद कांफिडेंट है। मैंने अपनी भूमिका को जीवंत करने से पहले उनके हाव-भाव को काफी गौर से देखा। कई अन्य टीवी पत्रकारों को मैंने ध्यान से देखा।
[अपूर्व बेहद रफ एंड टफ निर्देशक कहे जाते हैं। उनके निर्देशन में काम करने का अनुभव कैसा रहा?]
अपूर्व में जुनून है। कोई एक्शन सीन हमें करना होता तो वे पहले खुद करके दिखाते। बिल्कुल नहीं डरते कि उन्हें चोट लग सकती है। उनकी खासियत यह भी है कि वे अपने एक्टर्स को बहुत प्यार देते हैं इसीलिए हमें लगता है कि उन्हें निराश नहीं कर सकते। उन्होंने शूटिंग के दौरान मेरे साथ साइकोलॉजिकल गेम बहुत खेला। मुझसे कहते कि यार तुम्हारी फिल्म है, देख लो क्या करना है? अब ऐसे में आप क्या कर सकते हैं। कुल मिलाकर मैंने उनके साथ काम करते हुए बहुत एंज्वॉय किया।
[पिता बनने पर जो खूबसूरत अहसास होता है उसे किसी तरह व्यक्त करेगे?]
कहा जाता है कि बच्चा जब तक छह महीने का नहीं हो जाता, तब तक पिता को उसके करीब होना चाहिए। वह उनको छूना चाहता है। उनकी खुशबू को आत्मसात करता है। इससे पिता-पुत्र के रिश्ते को मजबूती मिलती है।
[निजी जीवन की बात करें तो पिता बनने के बाद आप क्या बदलाव महसूस कर रहे हैं?]
मैं पिता बनने के बाद डोमेस्टिक इंजीनियर बन गया हूं। सच कहूं तो जब से मेरा बेटा मेरी जिंदगी में आया है, मेरी कुंडली ही बदल गई है। वो मेरे लिए खूबसूरत तोहफा है। उसी के लिए मैंने अब स्मोकिंग भी छोड़ दी है। जब मेरा बेटा मेरे करीब होता है तो ऐसा लगता है जैसे दुनिया की सारी खुशी मेरे पास है। अभी कुछ दिनों के लिए मैं बाहर शूट पर जा रहा हूं। उसे वहां बहुत मिस करूंगा। [आपने इधर फिल्में करनी काफी कम कर दी हैं। वजह क्या है?]
हाल में जब मैंने अपने कॅरियर पर नजर डाली तो देखा कि जिस समय मैं ज्यादा फिल्में कर रहा था, मुझसे गलतियां ज्यादा हो रही थीं। यही वजह है कि अब मैंने फिल्में करनी कम कर दी हैं। फिल्म निर्माण टीम वर्क है, इसलिए मैं कोई फिल्म साइन करने से पहले अब सही स्क्रिप्ट और सही टीम अवश्य देखता हूं। सबका मेल होना मुश्किल है। यह एक वजह है कि इधर मेरी फिल्में कम आ रही हैं। मैं फिल्में पैसे या फेम के लिए नहीं कर रहा हूं बल्कि शौक है इसलिए कर रहा हूं। अब मैं सिर्फ अच्छी फिल्में ही करूंगा।
[मिशन इस्तानबुल के बाद किन फिल्मों में दिखाई देंगे?]
इस वक्त मैं सुभाष घई की युवराज और एंथोनी डिसूजा की फिल्म ब्लू कर रहा हूं। दोनों फिल्मों का जॉनर अलग है और इनमें मेरी भूमिकाएं भी अलग हैं। मैं खुश हूं कि मुझे युवराज में जहां सुभाष घई जैसे बड़े फिल्मकार के निर्देशन में काम करने का मौका मिल रहा है, वहीं फिल्म ब्लू में अपने पसंदीदा एक्शन हीरो संजय दत्त के साथ स्क्रीन शेयर करने का अवसर मिल रहा है।
[रघुवेंद्र सिंह]
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