Saturday, July 19, 2008

भगवान आज बारिश कर दो: आएशा टाकिया [बचपन ]


-रघुवेन्द्र सिंह
मैं बचपन में सीधी-सादी, शालीन और ईमानदार लड़की थी। किसी को तंग नहीं करती थी। अपने काम से मतलब रखती थी। पड़ोसी, रिश्तेदार या फैमिली फ्रेंड जब हमारे घर आते तो मम्मी-पापा के सामने मेरी प्रशंसा करते और फिर अपने बच्चों से कहते, ''देखो, आएशा कितनी प्यारी और संस्कारी लड़की है। तुम भी इसके जैसे बनो।'' मुझे अच्छी तरह याद है, मेरी अच्छाइयों की वजह से सब मुझसे बहुत प्यार करते थे। मैं सबकी लाड़ली थी।

मैं पढ़ने में अच्छी थी। मेरी टीचर क्लास में सब बच्चों से कहतीं थीं, ''आएशा इज द बेस्ट गर्ल इन क्लास।'' मेरे पैरेंट्स को स्कूल से कभी मेरी शिकायत सुनने को नहीं मिली। इन बातों के लिए वे मुझ पर गर्व करते थे। मैं स्कूल से छूटने के बाद जब घर पहुंचती तो बैग रखकर सीधे दोस्तों के साथ खेलने निकल जाती थी। मैं और मेरे दोस्त उस वक्त अक्सर भगवान से मनाते कि भगवान आज बारिश कर दो। हमारी छुंट्टी हो जाएगी और फिर हम खूब सारी मस्ती करेंगे।

मैंने बचपन में कभी मम्मी को किसी चीज के लिए परेशान नहीं किया। उस वक्त मुझे किसी बात पर गुस्सा भी नहीं आता था, लेकिन आज छोटी सी बात पर बड़ी जल्दी गुस्सा आ जाता है। मम्मी कहती भी हैं कि तुम बचपन में ज्यादा अच्छी थी। मैं बचपन में उनके ज्यादा करीब थी। मैं कभी उनसे दूर नहीं होती थी। वे मुझे छोड़कर जाना भी चाहतीं तो मैं उन्हें छोड़ती नहीं थी। उनसे दूर होकर मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। आज भी जब मैं शूटिंग कर रही होती हूं तो मम्मी मेरे साथ होती हैं। वे मेरी अच्छी दोस्त हैं।

बचपन में मैं महत्वाकांक्षी नहीं थी। किसी तरह के सपने नहीं देखती थी। मैंने उस वक्त सोचा भी नहीं था कि बड़ी होकर मुझे एक्ट्रेस बनना है। बस, मैं हर दिन को एंज्वॉय करती थी। आज भी मैं अपने बचपन को मिस नहीं करती हूं क्योंकि मेरी मम्मी कहती हैं कि तुम आज भी बच्ची हो!

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