रघुवेंद्र सिंह
गोविंदा इस वक्त अपने कॅरियर की दूसरी पारी की सफलता को एंज्वॉय कर रहे हैं। वे इंडस्ट्री के चुनिंदा व्यस्ततम कलाकारों में से एक हैं। आगामी एक साल के भीतर उनकी छह बड़ी फिल्में प्रदर्शित होंगी। गोविंदा इन दिनों गणेश आचार्य निर्देशित मल्टीस्टारर कॉमेडी फिल्म मनी है तो हनी है को लेकर उत्साहित हैं। प्रस्तुत है गोविंदा से बातचीत-
[गणेश आचार्य की पहली फिल्म स्वामी का हिस्सा बनने से आपने मना कर दिया था। फिर उनकी इस फिल्म मनी है तो हनी है से जुड़ने की क्या वजह है?]
गणेश आचार्य की फिल्म स्वामी गंभीर किस्म की थी और मैं अब गंभीर फिल्में नहीं करना चाहता। यही वजह है कि मैंने उनकी उस फिल्म को करने में अपनी असमर्थता प्रकट की थी। यह फिल्म मेरी टाइप की है। इस फिल्म की स्क्रिप्ट मुझे अच्छी लगी। किरदार मुझे पसंद आया, इसलिए मैंने गणेश की इस फिल्म का हिस्सा बनने का निर्णय लिया।
[इसका तात्पर्य है कि अब दर्शक आपको गंभीर स्वभाव की फिल्मों में अभिनय करते नहीं देखेंगे?]
फिलहाल तो नहीं। इन दिनों मैंने जितनी फिल्में साइन की हैं वे सभी विशुद्ध रूप से कॉमेडी फिल्में नहीं हैं। प्रत्येक फिल्म में मेरा किरदार और कहानी एक-दूसरे से बिल्कुल अलग है। भविष्य के बारे में मैं अभी कुछ नहीं कह सकता।
[फिल्म का शीर्षक मनी है तो हनी है दुनिया की एक कड़वी सच्चाई की तरफ इशारा कर रहा है। आपकी क्या राय है?]
आज की दुनिया की यह शत-प्रतिशत कड़वी सच्चाई है कि जिसके पास मनी यानी पैसा है, वह जिंदगी के हर सुख का भोग कर रहा है। हम सब लोग उसी मनी के पीछे दिन-रात भागते रहते हैं। गणेश आचार्य ने अपनी इस फिल्म में इस बात को बड़े कॉमिक अंदाज में दर्शाया है। कहानी कुछ युवा दोस्तों की है जो ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना चाहते हैं क्योंकि सब जानते हैं कि मनी है तो हनी है। मैं इसमें बॉबी अरोरा का किरदार निभा रहा हूं। वह मानता है कि मनी है तभी लड़कियां उसके पास होंगी।
[सत्रह वर्षीय अभिनेत्री हंसिका मोटवानी को जब आपकी लीडिंग लेडी के तौर पर इन्ट्रोड्यूज किया गया। आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या थी?]
मैं चौंक गया था। मैंने गणेश से कहा कि आप कास्टिंग के बारे में एक बार गंभीरता से सोच लें। उन्होंने मुझसे कहा कि दिक्कत क्या है? वह आपके साथ बिल्कुल फिट लगेगी। उन्होंने उस वक्त मुझसे एक बड़ी अच्छी बात कही कि यार, आप किसी का काम क्यों छीन रहे हो? वह लड़की जब आपके साथ काम करने के लिए तैयार है तो आप क्यों ना कह रहे हो। उसके बाद जब मैंने पहले दिन का शूट देखा तब मुझे हंसिका की अभिनय क्षमता का पता चला। मुझे यकीन है कि फिल्म देखने के बाद हमारी जोड़ी को कोई बेमेल नहीं कहेगा।
[कोरियोग्राफर गणेश आचार्य की निर्देशन क्षमता के बारे में आप क्या कहेंगे?]
गणेश अभी सीखने के प्रोसेस से गुजर रहे हैं। उनमें एनर्जी बहुत है। यह एक वजह है कि उनकी इस फिल्म में ताजगी फील होती है। मेरे सुझावों को वे बड़े गौर से सुनते थे। आशा है कि उनकी इस फिल्म को दर्शक पसंद करेंगे। मुझे उनके साथ काम करके बहुत मजा आया। मैं एक बात विशेष तौर पर कहना चाहूंगा कि सीखने की कोई सीमा नहीं होती। मैंने देखा कि रवि चोपड़ा जैसे सीनियर निर्देशक आज भी कुछ न कुछ सीखते रहते हैं।
[आपको इंडस्ट्री में आए हुए तेईस साल हो गए। आज पीछे पलटकर देखते हैं तो क्या महसूस करते हैं?]
ऐसा लगता है कि जैसे मैं अभी-अभी इंडस्ट्री में आया हूं। मैं खुद को एक न्यू कमर समझता हूं। मेरे पिछले तेईस साल अभिनय और जीवन की बारीकियां सीखने में गुजर गए। सच बताऊं, मैंने इधर एक साल में जो कुछ सीखा है वह पिछले तेईस साल में नहीं सीख सका। लगता है कि अब मां सरस्वती मुझमें प्रस्फुटित हुई हैं। मुझ से बीते कल में काफी गलतियां हुई। उनसे सीख लेकर अब तक मैंने जो कुछ नहीं किया है, वह सब करने की कोशिश कर रहा हूं।
[आप राजनीतिक फ्रंट पर असफल कहे जाते हैं। क्या आप इस बात को स्वीकार करते हैं?]
मैंने लोकसभा में बैठकर एक टिपीकल एमपी की तरह बहस नहीं की, इसका मतलब यह नहीं है कि मैंने अपनी राजनैतिक जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं किया। आप जाकर मेरे क्षेत्र में पता कर लें। पिछले पच्चीस सालों से जिन समस्याओं का वहां निवारण नहीं हो रहा था। उन सभी समस्याओं को मैंने अपने कार्यकाल में खत्म कर दिया। हां, इधर मेरी सक्रियता कम हो गई है। मैंने बीच में सोनिया गांधी से मुलाकात की और उनसे कहा कि अब मैं धीमी रफ्तार से आगे बढ़ना चाहता हूं। मैं जानता हूं कि नाम वाले ही बदनाम होते हैं।
[इधर आपकी सक्रियता फिल्मों में ज्यादा बढ़ गई है?]
इस समय मैं इंडस्ट्री का एकमात्र ऐसा कलाकार हूं जिसकी काफी समय बाद एक साल के अंदर छह फिल्में रिलीज होंगी। मनी है तो हनी है के बाद मेरी रवि चोपड़ा की फिल्म बंदा ये बिंदास है आएगी। इसके अलावा मैं इस समय मैं और मिसेज खन्ना, लूट, चाय गरम, चल चला चल, डू नॉट डिस्टर्ब आदि कई फिल्में कर रहा हूं। एक बंगाली फिल्म के लिए भी बात चल रही है। मेरी पहली फिल्म सन् 86 में आई थी तो मेरा दर्शकों से वादा है कि 86 साल की उम्र तक मैं फिल्मों में सक्रिय रहूंगा।
[यदि मौका मिले तो क्या आप फिर छोटे पर्दे पर वापसी करेंगे?]
मैं सिर्फ इतना ही कहूंगा कि मनी है तो हनी है। उम्मीद है कि आप मेरी बात समझ गए होंगे।
गोविंदा इस वक्त अपने कॅरियर की दूसरी पारी की सफलता को एंज्वॉय कर रहे हैं। वे इंडस्ट्री के चुनिंदा व्यस्ततम कलाकारों में से एक हैं। आगामी एक साल के भीतर उनकी छह बड़ी फिल्में प्रदर्शित होंगी। गोविंदा इन दिनों गणेश आचार्य निर्देशित मल्टीस्टारर कॉमेडी फिल्म मनी है तो हनी है को लेकर उत्साहित हैं। प्रस्तुत है गोविंदा से बातचीत-
[गणेश आचार्य की पहली फिल्म स्वामी का हिस्सा बनने से आपने मना कर दिया था। फिर उनकी इस फिल्म मनी है तो हनी है से जुड़ने की क्या वजह है?]
गणेश आचार्य की फिल्म स्वामी गंभीर किस्म की थी और मैं अब गंभीर फिल्में नहीं करना चाहता। यही वजह है कि मैंने उनकी उस फिल्म को करने में अपनी असमर्थता प्रकट की थी। यह फिल्म मेरी टाइप की है। इस फिल्म की स्क्रिप्ट मुझे अच्छी लगी। किरदार मुझे पसंद आया, इसलिए मैंने गणेश की इस फिल्म का हिस्सा बनने का निर्णय लिया।
[इसका तात्पर्य है कि अब दर्शक आपको गंभीर स्वभाव की फिल्मों में अभिनय करते नहीं देखेंगे?]
फिलहाल तो नहीं। इन दिनों मैंने जितनी फिल्में साइन की हैं वे सभी विशुद्ध रूप से कॉमेडी फिल्में नहीं हैं। प्रत्येक फिल्म में मेरा किरदार और कहानी एक-दूसरे से बिल्कुल अलग है। भविष्य के बारे में मैं अभी कुछ नहीं कह सकता।
[फिल्म का शीर्षक मनी है तो हनी है दुनिया की एक कड़वी सच्चाई की तरफ इशारा कर रहा है। आपकी क्या राय है?]
आज की दुनिया की यह शत-प्रतिशत कड़वी सच्चाई है कि जिसके पास मनी यानी पैसा है, वह जिंदगी के हर सुख का भोग कर रहा है। हम सब लोग उसी मनी के पीछे दिन-रात भागते रहते हैं। गणेश आचार्य ने अपनी इस फिल्म में इस बात को बड़े कॉमिक अंदाज में दर्शाया है। कहानी कुछ युवा दोस्तों की है जो ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना चाहते हैं क्योंकि सब जानते हैं कि मनी है तो हनी है। मैं इसमें बॉबी अरोरा का किरदार निभा रहा हूं। वह मानता है कि मनी है तभी लड़कियां उसके पास होंगी।
[सत्रह वर्षीय अभिनेत्री हंसिका मोटवानी को जब आपकी लीडिंग लेडी के तौर पर इन्ट्रोड्यूज किया गया। आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या थी?]
मैं चौंक गया था। मैंने गणेश से कहा कि आप कास्टिंग के बारे में एक बार गंभीरता से सोच लें। उन्होंने मुझसे कहा कि दिक्कत क्या है? वह आपके साथ बिल्कुल फिट लगेगी। उन्होंने उस वक्त मुझसे एक बड़ी अच्छी बात कही कि यार, आप किसी का काम क्यों छीन रहे हो? वह लड़की जब आपके साथ काम करने के लिए तैयार है तो आप क्यों ना कह रहे हो। उसके बाद जब मैंने पहले दिन का शूट देखा तब मुझे हंसिका की अभिनय क्षमता का पता चला। मुझे यकीन है कि फिल्म देखने के बाद हमारी जोड़ी को कोई बेमेल नहीं कहेगा।
[कोरियोग्राफर गणेश आचार्य की निर्देशन क्षमता के बारे में आप क्या कहेंगे?]
गणेश अभी सीखने के प्रोसेस से गुजर रहे हैं। उनमें एनर्जी बहुत है। यह एक वजह है कि उनकी इस फिल्म में ताजगी फील होती है। मेरे सुझावों को वे बड़े गौर से सुनते थे। आशा है कि उनकी इस फिल्म को दर्शक पसंद करेंगे। मुझे उनके साथ काम करके बहुत मजा आया। मैं एक बात विशेष तौर पर कहना चाहूंगा कि सीखने की कोई सीमा नहीं होती। मैंने देखा कि रवि चोपड़ा जैसे सीनियर निर्देशक आज भी कुछ न कुछ सीखते रहते हैं।
[आपको इंडस्ट्री में आए हुए तेईस साल हो गए। आज पीछे पलटकर देखते हैं तो क्या महसूस करते हैं?]
ऐसा लगता है कि जैसे मैं अभी-अभी इंडस्ट्री में आया हूं। मैं खुद को एक न्यू कमर समझता हूं। मेरे पिछले तेईस साल अभिनय और जीवन की बारीकियां सीखने में गुजर गए। सच बताऊं, मैंने इधर एक साल में जो कुछ सीखा है वह पिछले तेईस साल में नहीं सीख सका। लगता है कि अब मां सरस्वती मुझमें प्रस्फुटित हुई हैं। मुझ से बीते कल में काफी गलतियां हुई। उनसे सीख लेकर अब तक मैंने जो कुछ नहीं किया है, वह सब करने की कोशिश कर रहा हूं।
[आप राजनीतिक फ्रंट पर असफल कहे जाते हैं। क्या आप इस बात को स्वीकार करते हैं?]
मैंने लोकसभा में बैठकर एक टिपीकल एमपी की तरह बहस नहीं की, इसका मतलब यह नहीं है कि मैंने अपनी राजनैतिक जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं किया। आप जाकर मेरे क्षेत्र में पता कर लें। पिछले पच्चीस सालों से जिन समस्याओं का वहां निवारण नहीं हो रहा था। उन सभी समस्याओं को मैंने अपने कार्यकाल में खत्म कर दिया। हां, इधर मेरी सक्रियता कम हो गई है। मैंने बीच में सोनिया गांधी से मुलाकात की और उनसे कहा कि अब मैं धीमी रफ्तार से आगे बढ़ना चाहता हूं। मैं जानता हूं कि नाम वाले ही बदनाम होते हैं।
[इधर आपकी सक्रियता फिल्मों में ज्यादा बढ़ गई है?]
इस समय मैं इंडस्ट्री का एकमात्र ऐसा कलाकार हूं जिसकी काफी समय बाद एक साल के अंदर छह फिल्में रिलीज होंगी। मनी है तो हनी है के बाद मेरी रवि चोपड़ा की फिल्म बंदा ये बिंदास है आएगी। इसके अलावा मैं इस समय मैं और मिसेज खन्ना, लूट, चाय गरम, चल चला चल, डू नॉट डिस्टर्ब आदि कई फिल्में कर रहा हूं। एक बंगाली फिल्म के लिए भी बात चल रही है। मेरी पहली फिल्म सन् 86 में आई थी तो मेरा दर्शकों से वादा है कि 86 साल की उम्र तक मैं फिल्मों में सक्रिय रहूंगा।
[यदि मौका मिले तो क्या आप फिर छोटे पर्दे पर वापसी करेंगे?]
मैं सिर्फ इतना ही कहूंगा कि मनी है तो हनी है। उम्मीद है कि आप मेरी बात समझ गए होंगे।
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