मैं बचपन में चुलबुली नहीं थी। अपने-आप में खोई रहती थी। दूसरों से कोई मतलब नहीं रखती थी। अब महसूस करती हूं कि इसी वजह से उस वक्त मेरे ज्यादा दोस्त नहीं थे। उस समय बड़ी बहन राइमा ही मेरी सबसे अच्छी दोस्त थीं। उन्हीं से मैं अपनी हर बात शेयर करती थी। खेलने-कूदने से लेकर लड़ाई-झगड़ा तक सब उन्हीं से करती थी।
मुझे बचपन में दो चीजों का बहुत शौक था। एक तो लजीज पकवान खाने का और दूसरा मेकअप करने का। मैं बचपन में आईने के सामने घंटों बैठकर मम्मी की मेकअप किट से सामान निकालकर मेकअप करती थी। उनकी विग पहन लिया करती थी और फिर लोगों को दिखाती थी कि देखो, मैं भी मम्मी की तरह एक्ट्रेस बन गई। मैं बचपन में इस वक्त से ज्यादा सुंदर थी। उस समय लोग मुझसे कहा करते थे कि तुम बड़ी होकर एक्ट्रेस बनोगी। लोगों की वह बात सुनकर मैं खुद को सुपरस्टार समझने लगती थी। लगता है इन बातों का ही असर है जो आज मैं एक्ट्रेस बन गई हूं।
मुझे मम्मी के साथ पार्टियों में जाने का भी बहुत शौक था। मैं इंतजार करती रहती थी कि कब पार्टी में जाना है।
मैं बचपन में मम्मी को बहुत तंग किया करती थी। उसके बावजूद उन्होंने कभी मुझे हाथ नहीं लगाया। उन्होंने कभी डांटा भी नहीं। वे मुझ पर कभी गुस्सा नहीं करती थीं। हां, जब मैं समय पर कोई काम नहीं करती थी तब वे जरूर खीझ जाती थीं। किसी तरह की गलती होने पर वे मुझे बहुत समझाती थीं।
मैं आज बचपन को मिस नहीं करती हूं, बल्कि उम्र के इस पड़ाव यानी युवावस्था को बहुत एंज्वॉय कर रही हूं। अभिनेत्री होने का बहुत बड़ा फायदा यह है कि मुझे अपना बचपन जीने का बार-बार मौका मिलता है। मैं दिन भर इंतजार करती रहती हूं कि कब शूटिंग खत्म हो और मैं सीधे घर भागूं। घर पहुंचते ही मैं राइमा के साथ धमाल मचाना शुरू कर देती हूं। उसके साथ ही हम दोनों का बचपन वापस लौट आता है।
[रघुवेंद्र सिंह]
मुझे बचपन में दो चीजों का बहुत शौक था। एक तो लजीज पकवान खाने का और दूसरा मेकअप करने का। मैं बचपन में आईने के सामने घंटों बैठकर मम्मी की मेकअप किट से सामान निकालकर मेकअप करती थी। उनकी विग पहन लिया करती थी और फिर लोगों को दिखाती थी कि देखो, मैं भी मम्मी की तरह एक्ट्रेस बन गई। मैं बचपन में इस वक्त से ज्यादा सुंदर थी। उस समय लोग मुझसे कहा करते थे कि तुम बड़ी होकर एक्ट्रेस बनोगी। लोगों की वह बात सुनकर मैं खुद को सुपरस्टार समझने लगती थी। लगता है इन बातों का ही असर है जो आज मैं एक्ट्रेस बन गई हूं।
मुझे मम्मी के साथ पार्टियों में जाने का भी बहुत शौक था। मैं इंतजार करती रहती थी कि कब पार्टी में जाना है।
मैं बचपन में मम्मी को बहुत तंग किया करती थी। उसके बावजूद उन्होंने कभी मुझे हाथ नहीं लगाया। उन्होंने कभी डांटा भी नहीं। वे मुझ पर कभी गुस्सा नहीं करती थीं। हां, जब मैं समय पर कोई काम नहीं करती थी तब वे जरूर खीझ जाती थीं। किसी तरह की गलती होने पर वे मुझे बहुत समझाती थीं।
मैं आज बचपन को मिस नहीं करती हूं, बल्कि उम्र के इस पड़ाव यानी युवावस्था को बहुत एंज्वॉय कर रही हूं। अभिनेत्री होने का बहुत बड़ा फायदा यह है कि मुझे अपना बचपन जीने का बार-बार मौका मिलता है। मैं दिन भर इंतजार करती रहती हूं कि कब शूटिंग खत्म हो और मैं सीधे घर भागूं। घर पहुंचते ही मैं राइमा के साथ धमाल मचाना शुरू कर देती हूं। उसके साथ ही हम दोनों का बचपन वापस लौट आता है।
[रघुवेंद्र सिंह]
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