
सयाली भगत की दो फिल्में पेइंग गेस्ट और किरकिट जल्द ही रिलीज होंगी। इन फिल्मों में वे एक-दूसरे से अलग और दिलचस्प भूमिका में दिखाई देंगी। वे बताती हैं, फिल्म पेइंग गेस्ट में मैंने एक चैनल हेड की भूमिका निभाई है। कैरेक्टर का नाम सीमा है। मैंने फिल्म में पहली बार कॉमेडी की है। मुझे कॉमेडी करना मुश्किल लगा। किरकिट में अपनी भूमिका के बारे में मैं अभी कुछ नहीं बता सकती। इनके अलावा मैं एक फिल्म शाउट भी कर रही हूं। उसमें मेरी चुनौतीपूर्ण भूमिका है।
सयाली द ट्रेन के बाद गुडलक और हल्लाबोल फिल्मों में नजर आई थीं। इनसे उनकी दर्शकों में पहचान का दायरा बढ़ा, लेकिन सयाली अच्छी तरह जानती हैं कि अभी उन्हें अपनी कुछ कमियों पर मेहनत करने की जरूरत है। कमियों के बारे में वे बेझिझक कहती हैं, हिंदी पर मेरी पकड़ अच्छी नहीं है। मेरी आवाज भी अच्छी नहीं है। मैं शब्दों को तोलकर नहीं बोल पाती, लेकिन मैं अपनी कमियों पर मेहनत कर रही हूं। दरअसल, मिस इंडिया की ट्रेनिंग के दौरान हमें ऊंची आवाज में बोलने की ट्रेनिंग दी जाती है, जबकि फिल्मों में कैरेक्टर के हिसाब से खुद को ढालना पड़ता है। बॉडी लैंग्वेज और बोलचाल का तरीका बदलना पड़ता है। मैं प्ले भी करना चाहती हूं। ऐसा इसलिए, क्योंकि प्ले करने के बाद कलाकार के अभिनय में निखार आता है।
सयाली माधुरी दीक्षित की तरह तमाम रंगों वाली भूमिका निभाने की इच्छुक हैं। वे उन्हीं की तरह पहचान और प्रतिष्ठा पाना चाहती हैं। पूर्व मिस इंडिया सयाली कहती हैं, माधुरी मेरी फेवरेट ऐक्ट्रेस हैं। वे मेरी रोल मॉडल भी हैं। उनसे प्रेरित होकर ही मैं फिल्मों में आई हूं। मैं उन्हीं की तरह बनना चाहती हूं। उनकी तरह तेजाब, बेटा, मृत्युदंड और गजगामिनी जैसी अलग-अलग जॉनर की फिल्में करना चाहती हूं। ऐसी भूमिकाएं निभाना चाहती हूं, ताकि लोग लंबे समय तक मुझे याद रखें।
सयाली के बारे में कम ही लोग जानते हैं कि वे बाबा आम्टे के बेटे प्रकाश आम्टे के साथ मिलकर नासिक में अशिक्षा के खिलाफ काम करती हैं। सयाली कहती हैं, मैं कई वर्षो से अशिक्षा और वाइल्ड लाइफ के लिए काम कर रही हूं। हम डाक्यूमेंट्री फिल्में बनाकर भारतीय मूल के विदेश में रहने वाले लोगों को दिखाते हैं और फंड इकट्ठा करते हैं। उन पैसों से हम गरीबों के लिए दवा और उनके बच्चों की शिक्षा का इंतजाम करते हैं। यह काम करने में मुझे बहुत खुशी मिलती है।
-रघुवेन्द्र सिंह
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