नील नितिन मुकेश को विश्वास था कि एक दिन उन्हें यशराज बैनर की फिल्म में काम करने का अवसर जरूर मिलेगा, लेकिन वह समय इतना शीघ्र आ जाएगा, उन्होंने यह नहीं सोचा था। नील के मुताबिक, यशराज से मेरा गहरा और पुराना रिश्ता है। मैंने इस कैंप में चार साल सहायक निर्देशक के रूप में काम किया है। आदित्य चोपड़ा मेरे गुरु हैं। मैं उन्हें भैया कहता हूं। मुझे पता था कि एक दिन यशराज के दफ्तर से मुझे फोन जरूर आएगा, लेकिन इतना जल्दी फोन आ जाएगा, यह मैंने नहीं सोचा था। नील बात जारी रखते हैं, कबीर खान ने मेरी फिल्म जॉनी गद्दार देखी थी। उन्हें लगा कि न्यूयॉर्क के उमर का किरदार मैं निभा सकता हूं। अचानक एक दिन आदि भैया ने मुझे फोन किया। जब मैं उनसे मिलने गया, तो उन्होंने मुझे न्यूयॉर्क फिल्म की स्क्रिप्ट दी। मुझे वह स्क्रिप्ट बेहद पसंद आई और जब मुझे पता चला कि कबीर खान उसे डायरेक्ट करेंगे, तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मुझे उनकी फिल्म काबुल एक्सप्रेस बहुत अच्छी लगी थी।
कबीर खान निर्देशित न्यूयॉर्क में नील भारतीय मुसलिम युवक उमर का किरदार निभा रहे हैं। उमर न्यूयॉर्क पढ़ने जाता है। किरदार के बारे में नील विस्तार से कहते हैं, इसमें मेरे किरदार के कई शेड हैं। शुरू में उमर गंभीर और पढ़ाकू है। न्यूयॉर्क में माया और सैम से मिलने के बाद वह बिंदास और शरारती हो जाता है। फिल्म के तीसरे हिस्से में वह समाज और कानून के कारण गुस्सैल युवक बनता है। न्यूयॉर्क सही मायने में 9/11 की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म है। इसमें मुझे दमदार रोल करने का अवसर मिला। फिल्म में काम करने के बाद एक्टर के रूप में मैं और मजबूत हो गया हूं। मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है। मैं खुश हूं कि करियर के आरंभ में ही मुझे जॉनी, रे आचार्य, उमर और जेल के पराग दीक्षित जैसे मेच्योर और प्रभावी किरदार निभाने के अवसर मिले हैं। नील ने पहले कहा था कि वे अपने करियर की शुरुआती पांच फिल्में थ्रिलर विषय वाली ही करेंगे। उनकी वह बात अब पूरी हो गई है। वे इस बारे में कहते हैं, मेरे दादा मुकेश सिंगर थे और पिता नितिन मुकेश भी सिंगर हैं। मैंने जब कहा कि एक्टिंग में जाना चाहता हूं, तो किसी को मेरी बात पर यकीन नहीं हुआ। दरअसल, किसी को भरोसा नहीं था कि मैं अच्छी एक्टिंग कर सकता हूं। मेरे हिसाब से थ्रिलर फिल्में मुश्किल होती हैं। मैंने तय किया कि उसी जॉनर की फिल्में करके खुद को साबित करूंगा। पहली फिल्म जॉनी गद्दार से ही मुझे सफलता मिल गई। उसके बाद मैंने आ देखें जरा, तेरा क्या होगा जॉनी, न्यूयॉर्क और जेल में काम किया। अब मैं रोमांटिक फिल्में करना चाहता हूं। सच कहूं, तो एक्टिंग करने में मुझे खुशी मिलती है। मुझे चौथी मंजिल से कूदना, अलग-अलग तरह के किरदारों को जीना अच्छा लगता है। इतना आनंद किसी प्रोफेशन में नहीं है।
नील अपनी पिछली रिलीज फिल्म आ देखें जरा की असफलता से निराश नहीं हैं। वे कहते हैं, मैंने उसमें ईमानदारी से काम किया था। उसमें काम करके मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। मुझे लग रहा है कि आ देखें जरा में लोग जॉनी गद्दार के जॉनी को ढूंढने की कोशिश कर रहे थे, इसलिए उन्हें निराशा हाथ लगी। मैं हर फिल्म में एक जैसा काम नहीं कर सकता। यदि दर्शकों को वह फिल्म अच्छी नहीं लगी, उनका पैसा बर्बाद हुआ, तो मैं दोनों हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं। मैं गुजारिश करूंगा कि वे मेरी न्यूयॉर्क और जेल देखें, उन्हें मेरा काम देखकर खुशी होगी।
मधुर भंडारकर की जेल के अलावा इस वक्त नील के पास केन घोष और अब्बास-मस्तान की फिल्में भी हैं। वे कहते हैं, केन घोष और अब्बास-मस्तान की फिल्मों के बारे में बात करने की मुझे अनुमति नहीं है। उनका नाम और अन्य कलाकारों का चयन किया जाना अभी बाकी है। उन फिल्मों में दर्शक मुझे नए रंग में देखेंगे।
-रघुवेन्द्र सिंह
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