मुख्य कलाकार : जैकी भगनानी, वैशाली देसाई, गषि कपूर, अर्चना पूरन सिंह, अक्षय कपूर।
निर्देशक : विवेक शर्मा
तकनीकी टीम : निर्माता-वाशु भगनानी, बैनर-पूजा फिल्म्स, संगीत-साजिद-वाजिद, गीत-समीर, कोरियोग्राफर-रेमो।
विवेक शर्मा निर्देशित कल किसने देखा निर्माताओं, वितरकों एवं मल्टीप्लेक्स मालिकों के बीच सुलह के बाद प्रदर्शित होने वाली पहली बड़ी फिल्म है। निर्माता वाशु भगनानी ने अपने बेटे जैकी भगनानी की इस फिल्म का प्रचार इतने बड़े स्तर पर किया कि अपेक्षा बढ़ना स्वाभाविक है।
भूतनाथ जैसी भावनात्मक एवं संवेदनशील फिल्म के बाद निर्देशक विवेक शर्मा से भी उम्मीदें बढ़ गयी थीं, लेकिन कल किसने देखा निराश करती है। इसमें रोमांस, एक्शन, ड्रामा साधारण एवं पूर्व अनुमानित है।
कल किसने देखा का नायक निहाल सिंह (जैकी भगनानी) चंडीगढ़ से मुंबई पढ़ाई के लिए आता है। यहां रईस घराने की अहंकारी मीशा (वैशाली देसाई) और कालेज के प्रोफेसर सिद्धार्थ वर्मा (गषि कपूर) उसकी जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाते हैं। निहाल मीशा से प्रेम करने लगता है और प्रोफेसर वर्मा को अपना गुरू बना लेता है। निहाल के पास ईश्वर प्रदत्त आने वाले कल को देखने की अनूठी शक्ति है। प्रोफेसर वर्मा को जब निहाल की इस खूबी की जानकारी मिलती है तो वे उसका इस्तेमाल अपने नापाक काम में करते हैं। भोला और आदर्शवादी निहाल प्रोफेसर वर्मा के बारे में जान जाता है, लेकिन उसका दिल सच स्वीकार करने को तैयार नहीं होता। प्रोफेसर वर्मा निजी भड़ास निकालने के मकसद से मुंबई शहर में बम का जाल बिछा देते हैं।
लेखक-निर्देशक विवेक शर्मा ने रोमांटिक कहानी में आतंकवाद को पिरोया है। कालेज बेस्ड इस फिल्म के दृश्य एवं संवाद में नयेपन का अभाव है। यही वजह है कि कुछ वक्त के बाद फिल्म बांधे रखने में असफल हो जाती है। नए कलाकार जैकी भगनानी अभिनय से अधिक नृत्य से प्रभावित करते हैं। मीशा की भूमिका को वैशाली देसाई ने अच्छी तरह जीया है। ऋषि कपूर प्रोफेसर वर्मा की निगेटिव भूमिका में चौंकाते हैं। डॉन कालीचरण बने रितेश देशमुख ने साधारण अभिनय किया है। अलग फेम अक्षय कपूर के पात्र को अधूरा छोड़ दिया गया है। एक दृश्य में दिखी जूही चावला याद रहती हैं। अनावश्यक गीतों की वजह से फिल्म लंबी बन गयी है। कल किसने देखा की सिनेमैटोग्राफी खूबसूरत है। निर्माता वाशु भगनानी ने बेटे की डेब्यू फिल्म में खूब पैसा खर्च किया है। यही वजह है कि फिल्म में दिखायी गयी मुंबई और महाराष्ट्र की मुंबई में कोई समानता नहीं दिखाई देती है।
रेटिंग- ढाई अंक
-रघुवेन्द्र सिंह
निर्देशक : विवेक शर्मा
तकनीकी टीम : निर्माता-वाशु भगनानी, बैनर-पूजा फिल्म्स, संगीत-साजिद-वाजिद, गीत-समीर, कोरियोग्राफर-रेमो।
विवेक शर्मा निर्देशित कल किसने देखा निर्माताओं, वितरकों एवं मल्टीप्लेक्स मालिकों के बीच सुलह के बाद प्रदर्शित होने वाली पहली बड़ी फिल्म है। निर्माता वाशु भगनानी ने अपने बेटे जैकी भगनानी की इस फिल्म का प्रचार इतने बड़े स्तर पर किया कि अपेक्षा बढ़ना स्वाभाविक है।
भूतनाथ जैसी भावनात्मक एवं संवेदनशील फिल्म के बाद निर्देशक विवेक शर्मा से भी उम्मीदें बढ़ गयी थीं, लेकिन कल किसने देखा निराश करती है। इसमें रोमांस, एक्शन, ड्रामा साधारण एवं पूर्व अनुमानित है।
कल किसने देखा का नायक निहाल सिंह (जैकी भगनानी) चंडीगढ़ से मुंबई पढ़ाई के लिए आता है। यहां रईस घराने की अहंकारी मीशा (वैशाली देसाई) और कालेज के प्रोफेसर सिद्धार्थ वर्मा (गषि कपूर) उसकी जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाते हैं। निहाल मीशा से प्रेम करने लगता है और प्रोफेसर वर्मा को अपना गुरू बना लेता है। निहाल के पास ईश्वर प्रदत्त आने वाले कल को देखने की अनूठी शक्ति है। प्रोफेसर वर्मा को जब निहाल की इस खूबी की जानकारी मिलती है तो वे उसका इस्तेमाल अपने नापाक काम में करते हैं। भोला और आदर्शवादी निहाल प्रोफेसर वर्मा के बारे में जान जाता है, लेकिन उसका दिल सच स्वीकार करने को तैयार नहीं होता। प्रोफेसर वर्मा निजी भड़ास निकालने के मकसद से मुंबई शहर में बम का जाल बिछा देते हैं।
लेखक-निर्देशक विवेक शर्मा ने रोमांटिक कहानी में आतंकवाद को पिरोया है। कालेज बेस्ड इस फिल्म के दृश्य एवं संवाद में नयेपन का अभाव है। यही वजह है कि कुछ वक्त के बाद फिल्म बांधे रखने में असफल हो जाती है। नए कलाकार जैकी भगनानी अभिनय से अधिक नृत्य से प्रभावित करते हैं। मीशा की भूमिका को वैशाली देसाई ने अच्छी तरह जीया है। ऋषि कपूर प्रोफेसर वर्मा की निगेटिव भूमिका में चौंकाते हैं। डॉन कालीचरण बने रितेश देशमुख ने साधारण अभिनय किया है। अलग फेम अक्षय कपूर के पात्र को अधूरा छोड़ दिया गया है। एक दृश्य में दिखी जूही चावला याद रहती हैं। अनावश्यक गीतों की वजह से फिल्म लंबी बन गयी है। कल किसने देखा की सिनेमैटोग्राफी खूबसूरत है। निर्माता वाशु भगनानी ने बेटे की डेब्यू फिल्म में खूब पैसा खर्च किया है। यही वजह है कि फिल्म में दिखायी गयी मुंबई और महाराष्ट्र की मुंबई में कोई समानता नहीं दिखाई देती है।
रेटिंग- ढाई अंक
-रघुवेन्द्र सिंह
No comments:
Post a Comment