Thursday, August 7, 2008

जिंदगी अपनी शर्तो पर जीती हूं: नंदिता दास

-रघुवेंद्र सिंह
अभिनेत्री नंदिता दास आजकल अपनी फिल्म रामचंद पाकिस्तानी को लेकर चर्चा में इसलिए हैं, क्योंकि उनकी यह पहली पाकिस्तानी फिल्म है। इसकी निर्देशक हैं पाकिस्तान की चर्चित महिला मेहरीन जब्बार। फिल्म की चर्चा होते ही नंदिता कहती हैं, दरअसल, यह फिल्म सच्ची कहानी बयां करती है। पूरी कहानी पाकिस्तान की हिंदू महिला चंपा के इर्दगिर्द घूमती है। चंपा का पति और उसका जवान बेटा एक दिन अचानक भारत-पाकिस्तान की सरहद से गायब हो जाते हैं। उसके बाद क्या होता है, यही है इस फिल्म की कहानी।
थोड़ी देर रुकने के बाद नंदिता आगे की कहानी बताती हैं, यह फिल्म उर्दू में जरूर बनी है, लेकिन इसका हिंदी रूपांतरण भी हुआ है। फिल्म एकअगस्त को पाकिस्तान में रिलीज हो रही है। मैं इसके प्रीमियर के लिए जल्द ही पाकिस्तान जाऊंगी। दिलचस्प बात यह है कि फिल्म में मैं एकमात्र हिंदुस्तानी कलाकार हूं। शेष सभी पाकिस्तान के जाने-माने कलाकार हैं। मेरा इस फिल्म में काम करने का अनुभव शानदार रहा।
उल्लेखनीय है कि नंदिता अब तक दस भाषाओं की कुल तीस से भी अधिक फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं। उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं। नंदिता ने अब तक जिस तरह की फिल्मों में काम किया है, उससे उनकी इमेज एक गंभीर अभिनेत्री की बन गई है। वे मानती हैं, मीडिया ही हमारी इमेज बनाती और बिगाड़ती है। कौन कहता है कि मैं कॉमर्शिअॅल फिल्में नहीं करना चाहती? मैं कलाकार हूं और कॉमेडी, ऐक्शन, थ्रिलर हर तरह की फिल्में करना चाहती हूं, लेकिन सच तो यह है कि मेरे पास कोई ऐसा प्रस्ताव आता ही नहीं! दरअसल, अब मेरे पास इतना वक्त नहीं है कि अपनी इमेज को तोड़ने की जुगत में लग जाऊं! मेरे दोस्त पूछते हैं कि तुम दिल्ली में क्या कर रही हो? मुंबई आओ, यहां बहुत सारा काम है। सच कहूं, तो मैं अपनी शर्तो पर जिंदगी जीती हूं और वही काम करती हूं, जिसे करने के लिए मेरा दिल कहता है। अभिनेत्री के बाद नंदिता का नाम जल्द ही निर्देशकों की फेहरिस्त में भी शुमार होने वाला है। उनकी बतौर निर्देशक पहली फिल्म फिराक तैयार हो चुकी है। नंदिता इस फिल्म को लेकर बेहद उत्साहित हैं। वे कहती हैं, मैं पिछले तीन सालों से इस फिल्म को बनाने में जुटी हुई थी। हम कलाकारों को लगता है कि फिल्म निर्देशन आसान काम है, लेकिन अब मुझे अहसास हो रहा है कि यह मुश्किल काम है, क्योंकि निर्देशक को एक साथ ढेर सारी जिम्मेदारियां उठानी पड़ती हैं, जबकि ऐक्टर को केवल अपने संवाद और दृश्य पर ही ध्यान देना होता है।
फिल्म फिराक के बारे में नंदिता कहती हैं, यह फिल्म गुजरात में हुए दंगों के एक महीने बाद की कहानी है। इसमें हमने दंगे नहीं दिखाए हैं। दंगे के बाद की उस जिंदगी पर प्रकाश डाला है, जब लोग फिर से जीवन संवारने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें पांच अलग-अलग कहानियां एक साथ चलती हैं। यह एक संवेदनशील फिल्म है। इसमें नसीरुद्दीन शाह, परेश रावल, दीप्ति नवल, संजय सूरी, रघुवीर यादव, टिस्का चोपड़ा आदि ने काम किया है। फिलहाल मैंने कोई फिल्म साइन नहीं की है। अब बस अपनी फिल्म को दर्शकों तक पहुंचाना चाहती हूं, इसीलिए इसी फिल्म पर अपना सारा ध्यान केंद्रित कर रही हूं।

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