[रघुवेंद्र सिंह]
Aug 22, 11:15 pm
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की लोकप्रिय अभिनेत्रियों में विद्या बालन का नाम अवश्य आता है। उन्होंने जबसे ग्लैमर की दुनिया में कदम रखा है, उसके बाद की उनकी जिंदगी से हर कोई वाकिफ है, लेकिन विद्या बालन के बचपन के बारे में नहीं। कैसा था उनका बचपन, जानिए उन्हीं की जुबानी-
[शैतान बच्ची नहीं थी]
सामान्यतया हर शख्स बचपन में बहुत शरारती होता है, लेकिन मैं ऐसी नहीं थी। मैं बचपन में बहुत सुस्त किस्म की लड़की थी। दरअसल मैं उस वक्त बहुत मोटी थी। एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाना मेरे लिए मोटापे की वजह से मुश्किल होता था। इसके लिए मुझे सब लोग बहुत चिढ़ाते थे। मगर मैं किसी की बात का बुरा नहीं मानती थी क्योंकि सच तो वही था।
[अक्सर पेट दर्द होता था]
मम्मी जैसे ही मुझे बाहर भेजने की तैयारी करतीं, मेरा पेट दर्द शुरू हो जाता था। खासकर लुका-छिपी खेलने के समय, क्योंकि मुझे दौड़ने में उस वक्त बहुत दिक्कत होती थी। मैं बचपन में खाने की शौकीन थी। किसी तरह का पकवान हो, मुझे बस खाने से मतलब होता था। शायद इसी वजह से मैं बिल्कुल गोल-मटोल हो गई थी। उस वक्त घर में बैठकर फिल्में देखना मुझे अच्छा लगता था। ज्यादातर मैं पुरानी फिल्में देखती थी।
[बहुत पसंद थी मैथ्स]
मैं पढ़ाई में एवरेज स्टूडेंट थी। मुझे हिंदी, अंग्रेजी और गणित विषय बहुत पसंद थे। हां, इतिहास पढ़ना मुझे बिल्कुल नहीं अच्छा लगता था क्योंकि मुझे नाम और तारीखें याद ही नहीं होती थीं। मैं स्कूल में शरारतें नहीं करती थी। चुपचाप एक अच्छी स्टूडेंट बनकर रहती थी। इस वजह से स्कूल में मेरे ज्यादा दोस्त नहीं थे।
[हमेशा साथ रहती है पापा की सीख]
मैं बचपन में ज्यादा शरारती नहीं थी, इसलिए मुझे मार नहीं पड़ती थी। हाँ, कभी शरारत करती भी थी तो तुरंत सॉरी बोल देती थी। मेरी बहन जल्दी सॉरी नहीं बोलती थीं, इसलिए उन्हें बहुत मार पड़ती थी। पापा ने कभी मुझ पर हाथ नहीं उठाया। पापा ने एक सीख दी थी कि अपनी गलती को स्वीकार करना चाहिए। मैं उसका अनुसरण आज भी करती हूं।
[हर सपना हुआ पूरा]
मैंने बचपन में जो सपने देखे, वे सारे पूरे हो गए। मैं अपने उन सपनों का जिक्र यहां नहीं करना चाहती। आज कभी-कभार अपने बचपन को मिस करती हूं क्योंकि वह जीवन का अनमोल दौर था। बचपन में मम्मी-पापा की डांट खाने का अलग मजा होता है। मैं कहूंगी कि आप सब अपने बचपन के हर एक पल को अच्छी तरह जीएं।
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