Friday, August 29, 2008

मम्मी के ज्यादा करीब रहा मै: तुषार कपूर

[रघुवेंद्र सिंह]
Aug 29, 10:43 pm
लोग सोचते हैं कि लोकप्रिय अभिनेता जीतेंद्र के लाड़ले बेटे तुषार कपूर का बचपन ग्लैमर जगत की चकाचौंध के बीच गुजरा होगा, जबकि सचाई कुछ और है। अपने बचपन के बारे में यहां स्वयं बता रहे हैं तुषार-
[सादगी से बीता बचपन]
मुझे अपनी नन्ही उम्र की कोई बात याद नहीं है। हां, मैंने जब से होश संभाला मुझे याद है कि मेरी परवरिश एक आम लड़के की तरह की गई। मुझे बचपन में इस बात का एहसास था कि मेरे पापा बहुत बड़े स्टार हैं। सारी दुनिया उनकी दीवानी है, लेकिन मम्मी ने मुझ पर कभी इस बात का नशा नहीं चढ़ने दिया। उन्होंने हमेशा मुझे ग्लैमर की चकाचौंध भरी दुनिया से दूर रखा। हम लोग पाली हिल इलाके में रहते थे। मैं सुबह समय से स्कूल जाता और फिर घर लौटने के बाद बिल्डिंग के बच्चों के साथ खो-खो और लुका-छिपी खेला करता था।
[पढ़ाई में था होनहार]
लोग सोचते हैं कि सारे एक्टर पढ़ने-लिखने में औसत होते हैं, लेकिन मैं ऐसा नहीं था। मैं पढ़ने में बहुत होनहार था। मैं अपनी हर कक्षा में हमेशा टॉप सिक्स में रहता था और गणित में तो हमेशा अपनी कक्षा में टॉप आता था। आईसीएसई की दसवीं की परीक्षा में मेरे 89 प्रतिशत अंक आए थे। मेरी पढ़ाई के लिए मम्मी-पापा से लेकर क्लास टीचर तक सब लोग तारीफ करते थे। मेरा उत्साहव‌र्द्धन करते थे।
[जब मम्मी की पड़ी मार]
मैं छुटपन में जब बहुत ज्यादा बदमाशी करता था तब मुझे मम्मी की मार खानी पड़ती थी। मुझे याद है, पापा की फिल्म दीदारे-यार का ट्रायल रखा गया था। सारे डिस्ट्रीब्यूटर फिल्म देखने आए हुए थे। वह फिल्म का अनएडीटेड वर्जन था। मुझे फिल्म बहुत बोरिंग लग रही थी। मैं अपनी सीट छोड़कर उठ गया और एक सीट से दूसरी सीट पर कूदने लगा। कभी-कभी जाकर स्क्रीन को छू आता था। जैसे ही इंटरवल हुआ, मम्मी मुझे पकड़कर बाहर ले गईं और मेरे गाल पर कई थप्पड़ जड़ दिए। उन्होंने कहा कि अपनी फिल्म में ऐसा कर रहे हो, दूसरे लोग क्या सोचेंगे। वैसे, मैं बचपन में मम्मी के ज्यादा करीब था। उस समय पापा आउटडोर पर फिल्मों की शूटिंग में व्यस्त रहते थे। मम्मी अक्सर मुझे पापा के सेट पर लेकर जाया करती थीं।
[बचपन छूटने का पहला एहसास]
मुझे बचपन छूटने का एहसास पहली मर्तबा कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद हुआ। दरअसल, उसी समय मुझे पहली बार कॅरियर बनाने की चिंता हुई। पैसे कैसे कमाए जाएं, यह सोच कौंधी। मैंने पहली बार निर्णय लिया कि मुझे बिजनेस करना है पर जब बिजनेस स्कूल में दाखिला लिया, तब महसूस हुआ कि मैं गलत दिशा में जा रहा हूं। फिर मैंने एक्टिंग में आने का फैसला किया। आज मैं अपने बचपन को बिल्कुल मिस नहीं करता। अब मेरी लाइफ ज्यादा अच्छी है। अपने मुताबिक जिंदगी जी रहा हूं। अपने सपनों को पूरा कर रहा हूं।

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